बुधवार, 16 जनवरी 2019

shadi ki shartain, what is conditions of marriage, हिंदू विवाह की शर्ते

हिंदू शादी करने के लिए निम्न शर्ते होनी जरूरी है, हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के अनुसार

• विवाह के समय दोनों पक्षों में से न तो दूल्हे की कोई पत्नी जीवित हो और न दुल्हन का कोई पति जीवित हो (यदि वह ऐसा विवाह करते है तो उसे हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 11 के अनुसार शून्य विवाह माना जाएगा)भारतीय दंड संहिता की धारा 494 कहती है कि अगर कोई विवाह ऐसा होता है जिसमें पति या पत्नी पहले से जीवित है तो वह 7 साल के दंड से दंडनीय होगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा

• पागलपन के कारण कानूनी संपत्ति देने में असमर्थ न हो

• विधि मान्य संपत्ति देने में समर्थ होने पर भी इस प्रकार के या इस हद तक मानसिक रोग से पीड़ित न रहा हो कि वह विवाह और संतानोत्पत्ति के लिए अयोग्य हो (विवाह शून्यकरणीय माना जाएगा)

• किसी भी पक्षकार को पागलपन का दौरा न पढ़ता हो विवाह शून्यकरणीय माना जाएगा)


• विवाह के समय दुल्हा 21 वर्ष की और दुल्हन ने 18 वर्ष की आयु पूरी कर ली हो(यदि वह यह आयु पूरी नहीं करते तो , हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 18a के अनुसार कठोर कारावास से जिसकी अवधि 2 वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से जो ₹100000 (एक लाख) तक का हो सकेगा अथवा दोनों से दंडित किया जाएगा)


• यदि एक उनमें से दूसरे का पूर्वज [पूर्वपुरूष] हो तो शादी मान्य नहीं होती (यदि वह ऐसा करते है तो उसे हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 11 के अनुसार शून्य विवाह माना जाएगा और धारा 18b के अनुसार 1 माह (महीने) का सादा कारावास और ₹1000 का जुर्माना भी हो सकेगा)

• यदि दुल्हन दूल्हे के भाई की या पिता अथवा माता के भाई की पितामह अथवा पितामही के भाई की या मातामह अथवा मातामही के भाई की पत्नी रही हो, (यदि वह ऐसा करती है तो उसे हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 11 के अनुसार शून्य विवाह माना जाएगा और धारा 18b के अनुसार 1 माह (महीने) का सादा कारावास और ₹1000 का जुर्माना भी हो सकेगा)


• यदि वे भाई और बहन ताया, चाचा, और भतीजी, मामा और भांजी, फूफी और भतीजा, मौसी और भांजा या भाई-बहन के अपत्य, भाई भाई के अपत्य, अथवा बहन बहन के अपत्य[Offspring] हो (यदि वह ऐसा विवाह करते है तो उसे हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 11 के अनुसार शून्य विवाह माना जाएगा और धारा 18b के अनुसार 1 माह (महीने) का सादा कारावास और ₹1000 का जुर्माना भी हो सकेगा)

• वे एक दूसरे के समपिंड न हो
अथवा जब निर्देश किसी व्यक्ति के प्रति हो तो माता के माध्यम से उसकी ऊपर की और की परंपरा में तीसरी पीढ़ी तक जिसके अंतर्गत तीसरी पीढ़ी भी आती है और पिता के माध्यम से उसकी ऊपर की और की परंपरा में पांचवी पीढ़ी तक इसके अंतर्गत पांचवी पीढ़ी भी आती है (यदि वह ऐसा विवाह करते है तो उसे हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 11 के अनुसार शून्य विवाह माना जाएगा और धारा 18b के अनुसार 1 माह (महीने) का सादा कारावास और ₹1000 का जुर्माना भी हो सकेगा)

शुक्रवार, 11 जनवरी 2019

vakalatnama in Hindi _ वकालतनामा क्या होता है और कैसा होता है Vakalatnama kya hota hain

वकालतनामा एक ऐसा दस्तावेज है जिसके द्वारा वकील और उसका क्लाइंट आपस में बंध जाते वकालतनामा के जरिए कोई व्यक्ति किसी वकील को नियुक्त करके उसके द्वारा कोर्ट में वाद दाखिल करता है और अपने वाद की पैरवी अपने वकील से कराता है वकालतनामा ही वो एक दस्तावेज है जिसके द्वारा कोर्ट के अंदर कोई व्यक्ति अपना वाद अपने वकील के द्वारा लङता है

वकालतनामा इस प्रकार का होता है
Vakalatnama, वाकालतनामा
वकालतनामा Vakalatnama

वकालतनामा कोर्ट में दाखिल करना आवश्यक होता है यदि 
आप कोर्ट में कोई वकालतनामा दाखिले नहीं करते हैं तो आप कोर्ट में केस अपने वकील के द्वारा नहीं लड़ सकते

वकालतनामा की कीमत लगभग ₹250 तक की हो सकती है

वकालतनामा का एक लाभ यह भी है कि यदि आप कोर्ट में किसी कारणवश उपस्थित नहीं हो पाए हैं तो आपका केस यानी वाद जो आपने अपने वकील के द्वारा कोर्ट में दाखिल किया था उस पर कोई ऐसी कार्यवाही नहीं होगी जिसके द्वारा आप का केस खारिज हो जाए क्योंकि आपका वकील एक हाजिरी माफी के द्वारा आप की उपस्थिति को माफ करा लेता है

वकालतनामा का एक लाभ यह भी है कि वकील वकालतनामा के द्वारा केवल एक पक्ष का ही वकील हो सकता है यानी जो वकील आपके पक्ष में लड़ रहा है अब वह आपके दूसरे यानी विपक्ष में नहीं जा सकता और ना ही उससे कोई ऐसा गठबंधन कर सकता है जिसके द्वारा आप का वाद खारिज  हो जाए या आपको नुकसान हो सके

वकालतनामा की समय सीमा क्लाइंट या वकील की मृत्यु तक होती है या मुकदमे की समाप्ति तक होती है

वकालतनामा पर क्लाइंट यानी पक्षकार और उसके वकील के हस्ताक्षर होते हैं अगर क्लाइंट अनपढ़ है तो उसका अंगूठे का निशान लगाया जाता है

वकालतनामा सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के आदेश 3 नियम 4 के अनुसार भरा जाता है

यदि मुकदमे में पक्षकार एक से अधिक है तो सभी व्यक्तियों के हस्ताक्षर वकालतनामा पे किए जा सकते हैं

वकालतनामा एक रजिस्टर्ड वकील के द्वारा ही दाखिल किया जाता है

प्लीडर की नियुक्ति

कोई भी प्लीडर किसी भी न्यायालय में किसी भी व्यक्ति के लिए कार्य नहीं करेगा जब तक कि उस व्यक्ति के द्वारा ऐसी लिखित दस्तावेज द्वारा इस प्रयोजन के लिए नियुक्त न किया गया जो उस व्यक्ति द्वारा या उसके मान्यता प्राप्त अभिकर्ता द्वारा या ऐसी नियुक्ति करने के लिए मुख्तारनामा द्वारा या उसके अधीन सम्यक रूप से प्राधिकृत किसी अन्य व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षरित हैं

हर ऐसी नियुक्ति तब तक पृवृत्त समझी जाएगी जब तक वह न्यायालय की इजाजत से ऐसे लेख द्वारा पर्यवसित ने कर दी गई हो जो यथास्थिति मुवक्किल या प्लीडर द्वारा हस्ताक्षरित है और न्यायालय में फाइल कर दिया गया है या जब तक मुवक्किल या वकील की मृत्यु न हो गई हो या जब तक वाद मे की उस मुवक्किल से संबंधित समस्त कार्यवाही का अंत हो गया हो I

kill मारना Vs Murder मारना

Kill,  जब किसी व्यक्ति को कोई व्यक्ति बिना इरादे के मारता है तब हम उसे kill यानी मारना कहते हैं इसमें कभी कबार व्यक्ति जीवित बच जाता है या औ...