हम संयुक्त राष्ट्र के व्यक्ति
आने वाली पीढ़ियों को युद्ध की आग से रक्षा करने के लिए, जिसके कारण मानव जाति को हमारे जीवन काल में दो बार दुख उठाना पड़ा है, और
मूल मानव अधिकारों के प्रति, मानव की गरिमा(dignity) और महत्व के प्रति, पुरुषों और स्त्रियों तथा बड़े और छोटे राष्ट्रों (nations)के समान अधिकारों(equal right) के प्रति निष्ठा को पुनः अभिपुष्ट(reaffirm) करने के लिए, और
ऐसी परिस्थितियां(conditions) उत्पन्न करने के लिए जिनके अधीन संधियों (treaties)और अंतर्राष्ट्रीय विधि(international Law) के अन्य स्रोतों से होने वाले दायित्वों के प्रति न्याय और सम्मान बनाए रखा जा सके, और
व्यापक स्वतंत्रता(larger freedom)में सामाजिक प्रगति(progress) और जीवन स्तर की वृद्धि के लिए
दृढ़ निश्चय करके
और इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए
संहिष्णुता का आचरण करने और
अच्छे पड़ोसियों की भांति एक दूसरे के साथ मिलकर शांतिपूर्वक रहने के लिए, और
अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए अपनी शक्तियों को एक करने के लिए, और
ऐसे सिद्धांतों को स्वीकार करके और ऐसी पद्धतियां प्रतिस्थापित करके यह सुनिश्चित करने के लिए कि सशस्त्र बल का प्रयोग सामान्य हित में ही किया जाए, अन्यथा नहीं, और
सभी राष्ट्र की आर्थिक और सामाजिक उन्नति के अभिवृद्धि के लिए अंतरराष्ट्रीय तंत्र का उपयोग करने के लिए दृढ़ निश्चय करके यह संकल्प करते हैं कि इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए हम संयुक्त रूप से प्रयास करेंगे ।
तदनुसार, हमारी अपनी अपनी सरकारों ने, सैन फ्रांसिस्को में एकत्रित उन प्रतिनिधियों के माध्यम से, जिन्होंने अपने पूर्ण अधिकार पत्र प्रस्तुत किए हैं, जिन्हें ठीक और सही पाया गया है, संयुक्त राष्ट्र के इस चार्टर्ड को सहमति दे दी है और वे इसके द्वारा “संयुक्त राष्ट्र” नामक एक अंतरराष्ट्रीय संगठन की स्थापना करते है।
अध्याय 1
प्रयोजन और सिद्धांत
अनुच्छेद 1
संयुक्त राष्ट्र के प्रयोजन निम्नलिखित है
1. अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना और इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए शांति को होने वाले खतरों के निवारण और निराकरण के लिए तथा आक्रमक कार्यवाहीयो या शांति भंग की अन्य कार्यवाहीयो के दमन के लिए और ऐसे अंतर्राष्ट्रीय विवादों या स्थितियों का, जिनके कारण शांति भंग हो सकती हो, शांतिपूर्ण साधनों द्वारा तथा न्याय और अंतर्राष्ट्रीय विधि के सिद्धांतों के अनुरूप समायोजन या निपटारा करने के लिए प्रभावपूर्ण सामूहिक उपाय करना
2. राष्ट्रों के समान अधिकारों और आत्म निर्णय के सिद्धांत का सम्मान करते हुए राष्ट्रों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों का विकास करना और विश्व शांति को मजबूत करने के लिए अन्य समुचित उपाय करना
3. आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, या मानव कल्याण संबंधी अंतरराष्ट्रीय समस्याओं को हल करने के लिए और मूल वंश, लिंग, भाषा, या धर्म के आधार पर विभेद किए बिना सभी के लिए मानव अधिकारों और मूल स्वतंत्रताओं के प्रति सम्मान की अभिवृद्धि करने और उसे प्रोत्साहित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग उत्पन्न करना ,और
4. इन सामान्य उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए राष्ट्रों के कार्यों में समन्वय स्थापित करने के लिए केंद्र के रूप में कार्य करना
अनुच्छेद 2
यह संगठन और उसके सदस्य अनुच्छेद 1 में वर्णित प्रयोजन को सिद्ध करने के लिए निम्नलिखित सिद्धांतों के अनुसार कार्य करेंगे
1. यह संगठन अपने सभी सदस्यों की प्रभुसमता के सिद्धांत पर आधारित है
2. सभी सदस्य यह सुनिश्चित करने के लिए की सदस्यता के फल स्वरुप मिलने वाले अधिकार और फायदे सभी सदस्यों को प्राप्त हो इस चार्टर के अनुसार सदस्यों द्वारा ग्रहण की गई बाध्यताओं को सदभाव पूर्वक पूरा करेंगे
3. सभी सदस्य अपने अंतर्राष्ट्रीय विवादों का निपटारा शांतिपूर्ण साधनों द्वारा ऐसी रीति से करेंगे कि अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा तथा न्याय संकटापन्न न हो
4. सभी सदस्य अपने अंतरराष्ट्रीय संबंधों में किसी राज्य की राज्य क्षेत्रीय अखंडता या राजनीतिक स्वाधीनता के विरुद्ध अथवा किसी ऐसी रीती से जो संयुक्त राष्ट्र के प्रयोजनों से असंगत हो बल का प्रयोग करने की धमकी नहीं देंगे अथवा बल का प्रयोग नहीं करेंगे
5. सभी सदस्य संयुक्त राष्ट्र को इस चार्टर के अनुसार कार्यवाही करने में सभी प्रकार की सहायता देंगे और ऐसे राज्य को सहायता नहीं देंगे जिसके विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र निवारक या प्रवर्तन कर रहा है
6. संगठन यह सुनिश्चित करेगा कि जो राज्य संयुक्त राष्ट्र के सदस्य नहीं है वह जहां तक अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए आवश्यक हो इन सिद्धांतों के अनुसार कार्य करें
7. इस चार्टर्ड की कोई बात संयुक्त राष्ट्र को ऐसे मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए प्राधिकृत नहीं करेगी जो आवश्यक रूप से किसी राज्य की आंतरिक अधिकारिता में आते हो अथवा सदस्यों से यह अपेक्षा नहीं करेगी कि वे ऐसे मामलों को इस चार्टर के अधीन निपटारे के लिए प्रस्तुत करें किंतु यह सिद्धांत अध्याय 7 के अधीन प्रवर्तन के उपायों के लागू होने पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालेगा
अध्याय 2
सदस्यता
अनुच्छेद 3
संयुक्त राष्ट्र के मूल सदस्य वे राज्य होंगे जिन्होंने सैन फ्रांसिस्को से अंतरराष्ट्रीय संगठन विषयक संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में भाग लेकर या संयुक्त राष्ट्र द्वारा की गई 1 जनवरी 1942 की घोषणा पर पहले हस्ताक्षर करके इस चार्टर पर हस्ताक्षर किए हो और अनुच्छेद 110 के अनुसार इसका अनु समर्थन किया हो
अनुच्छेद 4
१ ऐसे सभी अन्य शांतिप्रिय राज्य संयुक्त राष्ट्र के सदस्य हो सकते हैं जो इस चार्टर में वर्णित बाध्यताओ को स्वीकार करते हैं और संगठन के मतानुसार इन बाध्यताओं को पालन करने के लिए सक्षम और इच्छुक है
२ ऐसे राज्य को सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर महासभा के निश्चय द्वारा संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बनाया जाएगा
अनुच्छेद 5
संयुक्त राष्ट्र के ऐसे सदस्य को जिसके विरुद्ध सुरक्षा परिषद में कोई निवारक या पृवर्तन कार्यवाही की है सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर महासभा सदस्यता के अधिकारों और विशेष अधिकारों का प्रयोग करने से निलंबित कर सकेगी इन अधिकारों या विशेष अधिकारों के प्रयोग का अधिकार सुरक्षा परिषद द्वारा पुन दिया जा सकेगा
अनुच्छेद 6
संयुक्त राष्ट्र के किसी ऐसे सदस्य को जिसने इस चार्टर में वर्णित सिद्धांतों का बार-बार अतिक्रमण किया है सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर महासभा संगठन से निष्कासित कर सकेंगी
अध्याय 3** अंग
अनुच्छेद 7
1 संयुक्त राष्ट्र के मुख्य अंगो के रूप में महासभा, सुरक्षा परिषद, आर्थिक और सामाजिक परिषद, न्यायसीता परिषद, अंतरराष्ट्रीय न्यायालय, और सचिवालय, की स्थापना की जाती है
2 ऐसे समनुषंगी अंगों की भी जो आवश्यक समझे जाएं इस चार्टर के अनुसार स्थापना की जा सकेगी
अनुच्छेद 8
संयुक्त राष्ट्र के मुख्य और शम समनुषांगी अंगो में पुरुष और स्त्री किसी भी हैसियत में और क्षमता के आधार पर भाग ले सकेंगे और संगठन इस पर कोई निबंधन नहीं लगाएगा
अध्याय 4
महासभा गठन
अनुच्छेद 9
1 महासभा में संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य होंगे
2 महासभा में प्रत्येक सदस्य के अधिक से अधिक 5 प्रतिनिधि होंगे
कृत्य और शक्तियां
अनुच्छेद 10
महासभा इस चार्टर के पृविषय में आने वाले या इस चार्टर में उपबंधित अंगों की शक्तियों और कार्यों से संबंधित किसी भी प्रश्न या विषय पर विचार विमर्श कर सकेगी और जैसा अनुच्छेद 12 में उपबंधित है उसके सिवाय ऐसे किसी प्रश्न या विषय पर संयुक्त राष्ट्र के सदस्य को या सुरक्षा परिषद को या दोनों को सिफारिश कर सकेगी
अनुच्छेद 11
1. महासभा अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए सहकार्य से साधारण सिद्धांतों पर जिन के अंतर्गत निशस्त्रीकरण को शासित करने वाले और शास्त्रीकरण का विनियमन करने वाले सिद्धांत भी हैं विचार कर सकेगी और ऐसे सिद्धांतों के संबंध में सदस्यों को या सुरक्षा परिषद को या दोनों को सिफारिशें कर सकेगी
2. महासभा अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने से संबंधित ऐसे सभी प्रश्नों पर विचार विमर्श कर सकेगी जो संयुक्त राष्ट्र के किसी सदस्य द्वारा या सुरक्षा परिषद दवारा या किसी ऐसे राज्य द्वारा जो संयुक्त राष्ट्र का सदस्य नहीं है अनुच्छेद 35 के पैरा 2 के अनुसार उसके समक्ष लाए जाएं और जैसा अनुच्छेद 12 में उप बंधित है उसके सिवाय ऐसे प्रश्नों के संबंध में राज्य या राज्यों को या सुरक्षा परिषद को या दोनों को सिफारिशें कर सकेगी महासभा ऐसे प्रश्न को जिस पर कार्यवाही करना आवश्यक है विचार-विमर्श के पूर्व या पश्चात सुरक्षा परिषद को निर्देशित करेगी
3. महासभा सुरक्षा परिषद का ध्यान ऐसी स्थितियों की ओर आकर्षित कर सकेगी जिनके कारण अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के संकट में पड़ने की संभावना हो
4 इस अनुच्छेद में वर्णित महासभा की शक्तियों अनुच्छेद 10 के साधारण विषय को सीमित नहीं करेगी
अनुच्छेद 12
1. जब सुरक्षा परिषद किसी विवाद या स्थिति के संबंध में इस चार्टर्ड द्वारा उसे सौपे गए कार्य कर रही हो तब महासभा उस विवाद या स्थिति के संबंध में तब तक कोई सिफारिश नहीं करेगी जब तक की सुरक्षा परिषद ऐसा करने का अनुरोध न करें
2. महासचिव सुरक्षा परिषद की सम्मति से महासभा को उसके प्रत्येक सत्र में अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा से संबंधित ऐसे मामलों की सूचना देगा जिन पर सुरक्षा परिषद कार्यवाही कर रही है और जब सुरक्षा परिषद ऐसे मामलों पर कार्यवाही करना बंद कर दें तब महासभा को या यदि महासभा सत्र में नए हो तो संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों को इसी प्रकार तुरंत सूचना देगा
अनुच्छेद 13
महासभा
1 [क] राजनीतिक क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग की अभिवृद्धि करने और अंतर्राष्ट्रीय विधि का उत्तरोत्तर विकास करने और उसको संहिताबध्द करने को प्रोत्साहन देने के प्रयोजन के लिए
1 [ख]आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग की अभिवृद्धि करने और मूल वंश लिंग भाषा या धर्म के आधार पर भेद किए बिना सभी के लिए मानव अधिकार और मूल स्वतंत्रता प्राप्त करने में सहायता करने के प्रयोजन के लिए अध्ययन कराएगी और सिफारिशें करेगी
2-उपयुक्त पैरा [1(ख)] में उल्लेखित विषयों की बाबत महासभा के अन्य उत्तरदायित्व कार्य और शक्तियां अध्याय 9 और 10 में उप वर्णित हैं
अनुच्छेद 14
अनुच्छेद 12 के उपबंधो के अधीन रहते हुए महासभा किसी भी ऐसी स्थिति को शांतिपूर्ण समायोजन के लिए उपायों की सिफारिश कर सकेगी चाहे उसके उत्पन्न होने का कारण कुछ भी हो जिसके बारे में यह समझती है कि उससे सार्वजनिक कल्याण और राष्ट्र के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों का ह्रास होने की संभावना है इन स्थितियों के अंतर्गत संयुक्त राष्ट्र के प्रयोजनों और सिद्धांतों को उपवर्णित करने वाले इस चार्टर्ड के उपबंधो के अतिक्रमण के परिणामस्वरुप उत्पन्न होने वाली स्थितियां भी है
अनुच्छेद 15
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