बुधवार, 7 जुलाई 2021

full international law book in hindi

उद्देशिका
हम संयुक्त राष्ट्र के लोग 
आने वाली पीढ़ियों को युद्ध की आग से रक्षा करने के लिए, जिसके कारण मानव जाति को हमारे जीवन काल में दो बार दुख उठाना पड़ा है, और
मूल मानव अधिकारों के प्रति, मानव की गरिमा(dignity) और महत्व के प्रति, पुरुषों और स्त्रियों तथा बड़े और छोटे राष्ट्रों (nations)के समान अधिकारों(equal right) के प्रति निष्ठा को पुनः अभिपुष्ट(reaffirm) करने के लिए, और
ऐसी परिस्थितियां(conditions) उत्पन्न करने के लिए जिनके अधीन संधियों (treaties)और अंतर्राष्ट्रीय विधि(international Law) के अन्य स्रोतों से उद्भूत होने वाले दायित्वों के प्रति न्याय और सम्मान बनाए रखा जा सके, और
व्यापक स्वतंत्रता(larger freedom)में सामाजिक प्रगति(progress) और जीवन स्तर की वृद्धि के लिए
 दृढ़ निश्चय करके 
और इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए
 संहिष्णुता Tolerance का आचरण करने और
 अच्छे पड़ोसियों neighbours की भांति एक दूसरे के साथ मिलकर शांतिपूर्वक peace रहने के लिए, और 
अंतर्राष्ट्रीय शांति security और सुरक्षा बनाए रखने के लिए अपनी शक्तियों को एक करने के लिए, और 
ऐसे सिद्धांतों को स्वीकार करके और ऐसी पद्धतियां प्रतिस्थापित करके यह सुनिश्चित करने के लिए कि सशस्त्र बल का प्रयोग सामान्य हित में ही किया जाए, अन्यथा नहीं, और 
सभी राष्ट्र की आर्थिक और सामाजिक उन्नति के अभिवृद्धि के लिए अंतरराष्ट्रीय तंत्र का उपयोग करने के लिए दृढ़ निश्चय करके यह संकल्प करते हैं कि इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए हम संयुक्त रूप से प्रयास करेंगे ।
तदनुसार, हमारी अपनी अपनी सरकारों ने, सैन फ्रांसिस्को में एकत्रित उन प्रतिनिधियों के माध्यम से, जिन्होंने अपने पूर्ण अधिकार पत्र प्रस्तुत किए हैं, जिन्हें ठीक और सही पाया गया है, संयुक्त राष्ट्र के इस चार्टर्ड को सहमति दे दी है और वे इसके द्वारा “संयुक्त राष्ट्र” नामक एक अंतरराष्ट्रीय संगठन की स्थापना करते है।
                    अध्याय 1
              प्रयोजन और सिद्धांत 
अनुच्छेद 1
संयुक्त राष्ट्र के प्रयोजन निम्नलिखित है
1. अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना और इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए शांति को होने वाले खतरों के निवारण और निराकरण के लिए तथा आक्रमक कार्यवाहीयो या शांति भंग की अन्य कार्यवाहीयो के दमन के लिए और ऐसे अंतर्राष्ट्रीय विवादों या स्थितियों का, जिनके कारण शांति भंग हो सकती हो, शांतिपूर्ण साधनों द्वारा तथा न्याय और अंतर्राष्ट्रीय विधि के सिद्धांतों के अनुरूप समायोजन या निपटारा करने के लिए प्रभावपूर्ण सामूहिक उपाय करना
2. राष्ट्रों के समान अधिकारों और आत्म निर्णय के सिद्धांत का सम्मान करते हुए राष्ट्रों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों का विकास करना और विश्व शांति को मजबूत करने के लिए अन्य समुचित उपाय करना
3. आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, या मानव कल्याण संबंधी अंतरराष्ट्रीय समस्याओं को हल करने के लिए और मूल वंश, लिंग, भाषा, या धर्म के आधार पर विभेद किए बिना सभी के लिए मानव अधिकारों और मूल स्वतंत्रताओं के प्रति सम्मान की अभिवृद्धि करने और उसे प्रोत्साहित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग उत्पन्न करना ,और
4. इन सामान्य उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए राष्ट्रों के कार्यों में समन्वय स्थापित करने के लिए केंद्र के रूप में कार्य करना
अनुच्छेद 2
यह संगठन और उसके सदस्य अनुच्छेद 1 में वर्णित प्रयोजन को सिद्ध करने के लिए निम्नलिखित सिद्धांतों के अनुसार कार्य करेंगे
1. यह संगठन अपने सभी सदस्यों की प्रभुसमता के सिद्धांत पर आधारित है
2. सभी सदस्य यह सुनिश्चित करने के लिए की सदस्यता के फल स्वरुप मिलने वाले अधिकार और फायदे सभी सदस्यों को प्राप्त हो इस चार्टर के अनुसार सदस्यों द्वारा ग्रहण की गई बाध्यताओं को सदभाव पूर्वक पूरा करेंगे
3. सभी सदस्य अपने अंतर्राष्ट्रीय विवादों का निपटारा शांतिपूर्ण साधनों द्वारा ऐसी रीति से करेंगे कि अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा तथा न्याय संकटापन्न न हो
4. सभी सदस्य अपने अंतरराष्ट्रीय संबंधों में किसी राज्य की राज्य क्षेत्रीय अखंडता या राजनीतिक स्वाधीनता के विरुद्ध अथवा किसी ऐसी रीती से जो संयुक्त राष्ट्र के प्रयोजनों से असंगत हो बल का प्रयोग करने की धमकी नहीं देंगे अथवा बल का प्रयोग नहीं करेंगे
5. सभी सदस्य संयुक्त राष्ट्र को इस चार्टर के अनुसार कार्यवाही करने में सभी प्रकार की सहायता देंगे और ऐसे राज्य को सहायता नहीं देंगे जिसके विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र निवारक या प्रवर्तन कर रहा है
6. संगठन यह सुनिश्चित करेगा कि जो राज्य संयुक्त राष्ट्र के सदस्य नहीं है वह जहां तक अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए आवश्यक हो इन सिद्धांतों के अनुसार कार्य करें
7. इस चार्टर्ड की कोई बात संयुक्त राष्ट्र को ऐसे मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए प्राधिकृत नहीं करेगी जो आवश्यक रूप से किसी राज्य की आंतरिक अधिकारिता में आते हो अथवा सदस्यों से यह अपेक्षा नहीं करेगी कि वे ऐसे मामलों को इस चार्टर के अधीन निपटारे के लिए प्रस्तुत करें किंतु यह सिद्धांत अध्याय 7 के अधीन प्रवर्तन के उपायों के लागू होने पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालेगा

                  अध्याय 2 
                  सदस्यता
अनुच्छेद 3 
संयुक्त राष्ट्र के मूल सदस्य वे राज्य होंगे जिन्होंने सैन फ्रांसिस्को से अंतरराष्ट्रीय संगठन विषयक संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में भाग लेकर या संयुक्त राष्ट्र द्वारा की गई 1 जनवरी 1942 की घोषणा पर पहले हस्ताक्षर करके इस चार्टर पर हस्ताक्षर किए हो और अनुच्छेद 110 के अनुसार इसका अनु समर्थन किया हो
अनुच्छेद 4
१ ऐसे सभी अन्य शांतिप्रिय राज्य संयुक्त राष्ट्र के सदस्य हो सकते हैं जो इस चार्टर में वर्णित बाध्यताओ को स्वीकार करते हैं और संगठन के मतानुसार इन बाध्यताओं को पालन करने के लिए सक्षम और इच्छुक है
२ ऐसे राज्य को सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर महासभा के निश्चय द्वारा संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बनाया जाएगा
अनुच्छेद 5
संयुक्त राष्ट्र के ऐसे सदस्य को जिसके विरुद्ध सुरक्षा परिषद में कोई निवारक या पृवर्तन कार्यवाही की है सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर महासभा सदस्यता के अधिकारों और विशेष अधिकारों का प्रयोग करने से निलंबित कर सकेगी इन अधिकारों या विशेष अधिकारों के प्रयोग का अधिकार सुरक्षा परिषद द्वारा पुन दिया जा सकेगा
अनुच्छेद 6
संयुक्त राष्ट्र के किसी ऐसे सदस्य को जिसने इस चार्टर में वर्णित सिद्धांतों का बार-बार अतिक्रमण किया है सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर महासभा संगठन से निष्कासित कर सकेंगी

अध्याय 3** अंग
अनुच्छेद 7
1 संयुक्त राष्ट्र के मुख्य अंगो के रूप में महासभा, सुरक्षा परिषद, आर्थिक और सामाजिक परिषद, न्यायसीता परिषद, अंतरराष्ट्रीय न्यायालय, और सचिवालय, की स्थापना की जाती है
2 ऐसे समनुषंगी अंगों की भी जो आवश्यक समझे जाएं इस चार्टर के अनुसार स्थापना की जा सकेगी
अनुच्छेद 8
संयुक्त राष्ट्र के मुख्य और शम समनुषांगी अंगो में पुरुष और स्त्री किसी भी हैसियत में और क्षमता के आधार पर भाग ले सकेंगे और संगठन इस पर कोई निबंधन नहीं लगाएगा
             अध्याय 4 
           महासभा गठन
अनुच्छेद 9
1 महासभा में संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य होंगे
2 महासभा में प्रत्येक सदस्य के अधिक से अधिक 5 प्रतिनिधि होंगे
कृत्य और शक्तियां
अनुच्छेद 10
महासभा इस चार्टर के पृविषय में आने वाले या इस चार्टर में उपबंधित अंगों की शक्तियों और कार्यों से संबंधित किसी भी प्रश्न या विषय पर विचार विमर्श कर सकेगी और जैसा अनुच्छेद 12 में उपबंधित है उसके सिवाय ऐसे किसी प्रश्न या विषय पर संयुक्त राष्ट्र के सदस्य को या सुरक्षा परिषद को या दोनों को सिफारिश कर सकेगी
अनुच्छेद 11
1. महासभा अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए सहकार्य से साधारण सिद्धांतों पर जिन के अंतर्गत निशस्त्रीकरण को शासित करने वाले और शास्त्रीकरण का विनियमन करने वाले सिद्धांत भी हैं विचार कर सकेगी और ऐसे सिद्धांतों के संबंध में सदस्यों को या सुरक्षा परिषद को या दोनों को सिफारिशें कर सकेगी
2. महासभा अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने से संबंधित ऐसे सभी प्रश्नों पर विचार विमर्श कर सकेगी जो संयुक्त राष्ट्र के किसी सदस्य द्वारा या सुरक्षा परिषद दवारा या किसी ऐसे राज्य द्वारा जो संयुक्त राष्ट्र का सदस्य नहीं है अनुच्छेद 35 के पैरा 2 के अनुसार उसके समक्ष लाए जाएं और जैसा अनुच्छेद 12 में उप बंधित है उसके सिवाय ऐसे प्रश्नों के संबंध में राज्य या राज्यों को या सुरक्षा परिषद को या दोनों को सिफारिशें कर सकेगी महासभा ऐसे प्रश्न को जिस पर कार्यवाही करना आवश्यक है विचार-विमर्श के पूर्व या पश्चात सुरक्षा परिषद को निर्देशित करेगी
3. महासभा सुरक्षा परिषद का ध्यान ऐसी स्थितियों की ओर आकर्षित कर सकेगी जिनके कारण अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के संकट में पड़ने की संभावना हो
4 इस अनुच्छेद में वर्णित महासभा की शक्तियों अनुच्छेद 10 के साधारण विषय को सीमित नहीं करेगी
अनुच्छेद 12
1. जब सुरक्षा परिषद किसी विवाद या स्थिति के संबंध में इस चार्टर्ड द्वारा उसे सौपे गए कार्य कर रही हो तब महासभा उस विवाद या स्थिति के संबंध में तब तक कोई सिफारिश नहीं करेगी जब तक की सुरक्षा परिषद ऐसा करने का अनुरोध न करें
2. महासचिव सुरक्षा परिषद की सम्मति से महासभा को उसके प्रत्येक सत्र में अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा से संबंधित ऐसे मामलों की सूचना देगा जिन पर सुरक्षा परिषद कार्यवाही कर रही है और जब सुरक्षा परिषद ऐसे मामलों पर कार्यवाही करना बंद कर दें तब महासभा को या यदि महासभा सत्र में नए हो तो संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों को इसी प्रकार तुरंत सूचना देगा
                   अनुच्छेद 13
महासभा
1 [क] राजनीतिक क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग की अभिवृद्धि करने और अंतर्राष्ट्रीय विधि का उत्तरोत्तर विकास करने और उसको संहिताबध्द करने को प्रोत्साहन देने के प्रयोजन के लिए
1 [ख]आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग की अभिवृद्धि करने और मूल वंश लिंग भाषा या धर्म के आधार पर भेद किए बिना सभी के लिए मानव अधिकार और मूल स्वतंत्रता प्राप्त करने में सहायता करने के प्रयोजन के लिए अध्ययन कराएगी और सिफारिशें करेगी
2-उपयुक्त पैरा [1(ख)] में उल्लेखित विषयों की बाबत महासभा के अन्य उत्तरदायित्व कार्य और शक्तियां अध्याय 9 और 10 में उप वर्णित हैं
अनुच्छेद 14
अनुच्छेद 12 के उपबंधो के अधीन रहते हुए महासभा किसी भी ऐसी स्थिति को शांतिपूर्ण समायोजन के लिए उपायों की सिफारिश कर सकेगी चाहे उसके उत्पन्न होने का कारण कुछ भी हो जिसके बारे में यह समझती है कि उससे सार्वजनिक कल्याण और राष्ट्र के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों का ह्रास होने की संभावना है इन स्थितियों के अंतर्गत संयुक्त राष्ट्र के प्रयोजनों और सिद्धांतों को उपवर्णित करने वाले इस चार्टर्ड के उपबंधो के अतिक्रमण के परिणामस्वरुप उत्पन्न होने वाली स्थितियां भी है
अनुच्छेद 15
1 महासभा सुरक्षा परिषद से वार्षिक और विशेष रिपोर्ट प्राप्त करेगी और उन पर विचार करेगी इन रिपोर्टों में उन उपायों का विवरण सम्मिलित होगा जो सुरक्षा परिषद ने अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए किए हैं या करने का विनिश्चय किया ह
2 महासभा संयुक्त राष्ट्र के अन्य अंगों से भी रिपोर्ट प्राप्त करेगी और उन पर विचार करेगी
अनुच्छेद 16
महासभा अंतर्राष्ट्रीय न्यासीता पद्धति के संबंध में ऐसे कार्य करेगी जो उसे अध्याय 12 और 13 के अधीन सौपे गए हैं इन कार्यों के अंतर्गत ऐसे क्षेत्र के न्यासीता कारारो का अनुमोदन भी है जो सामरिक महत्व के नहीं माने गए हैं
अनुच्छेद 17
1 महासभा संगठन के बजट पर विचार करेगी और उसका अनुमोदन करेगी
2 सदस्य संगठन के खर्च महासभा द्वारा प्रभाजित रूप से वहन करेगें
 ३ महासभा अनुच्छेद 57 में निर्दिष्ट विशिष्ट अभिकरणो के साथ किए गए वित्तीय और बजट संबंधी व्यवस्थाओं पर विचार करेगी और उनका अनुमोदन करेगी तथा ऐसी विशिष्ट अभिकरण के प्रशासनिक बजटो की सम्बध्द अभिकरण को सिफारिशें करने की दृष्टि से जांच करेगी
             मतदान       
अनुच्छेद 18
1. महासभा के प्रत्येक सदस्य का केवल एक मत होगा
2. महत्वपूर्ण प्रश्नों पर महासभा के विनिश्चय उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से किए जाएंगे इन प्रश्नों के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के संबंध में सिफारिशें सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्यों का निर्वाचन आर्थिक और सामाजिक परिषद के सदस्यों का निर्वाचन अनुच्छेद 86 के पैरा एक ,ग, के अनुसार न्यासीता परिषद के सदस्यों का निर्वाचन, संयुक्त राष्ट्र के नए सदस्यों का प्रवेश निर्वाचन सदस्यता के अधिकारों और विशेष अधिकारों का निलंबन सदस्यों का निष्कासन न्यासीता पद्धति के प्रवर्तन के संबंध में प्रश्न और बजट संबंधी प्रश्न है
अन्य प्रश्नों पर विनिश्चय उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के बहुमत से किए जाएंगे इन प्रश्नों के अंतर्गत यह अवधारणा करना भी है कि कौन से अन्य पृवर्गों के प्रश्न दो तिहाई बहुमत द्वारा निश्चित किए जाएंगे
अनुच्छेद 19
संयुक्त राष्ट्र के किसी ऐसे सदस्य को महासभा में मत देने का अधिकार नहीं होगा जिसके द्वारा संगठन को किया जानेवाला वित्तीय अभिदान बनाया है और बकाया रकम पूर्वर्ती दो पूर्ण वर्षों के लिए उससे शोध्य अभीदायो की रकम के बराबर या अधिक है फिर भी यदि महासभा को यह समाधान हो जाता है कि संदाय करने में असफलता ऐसी दशा के कारण हुई थी जो उस सदस्य के नियंत्रण के बाहर थी तो महासभा ऐसे सदस्य को मत देने की अनुज्ञा दे     
                   प्रक्रिया
अनुच्छेद 20
महासभा की बैठके नियमित वार्षिक सत्रों में और ऐसे विशेष सत्रों में होंगी जो किसी अवसर पर अपेक्षित हो विशेष सत्र सुरक्षा परिषद के अनुरोध पर या संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों के बहुमत के अनुरोध पर महासचिव द्वारा बुलाए जाएंगे
अनुच्छेद 21
महासभा अपनी प्रक्रिया के नियम  स्वयं बनाएगी वह प्रत्येक सत्र के लिए अपना अध्यक्ष निर्वाचित करेंगी
अनुच्छेद 22
महासभा ऐसी समनुषंगी अंगों की स्थापना कर सकेगी जिन्हें वह अपने कृत्यो का पालन करने के लिए आवश्यक समझे
             अध्याय 5
             सुरक्षा परिषद
अनुच्छेद 23
1 सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र के 15 सदस्यों से मिलकर बनेगी चीन गणराज्य, फ्रांस, सोवियत समाजवादी गणराज्य, संघ ग्रेट ब्रिटेन, और उत्तरी आयरलैंड की यूनाइटेड किंग्डम और संयुक्त राज्य अमेरिका सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्य होंगे महासभा संयुक्त राष्ट्र के 10 अन्य सदस्यों को निर्वाचित करेगी जो सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्य होंगे और ऐसा करते समय विशेष रूप से सर्व प्रथम अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने में और संगठन के अन्य प्रयोजनों के लिए संयुक्त राष्ट्र के सदस्य के योगदान पर  ध्यान दिया जाएगा और साथ ही भौगोलिक वितरण का भी ध्यान रखा जजाएग
2 सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्यों का निर्वाचन 2 वर्षों की अवधि के लिए किया जाएगा सुरक्षा परिषद के सदस्यों की संख्या 11 से बढ़ाकर 15 कर दिए जाने के पश्चात अस्थाई सदस्यों के प्रथम निर्वाचन में 4 अतिरिक्त सदस्यों में से दो सदस्यों को 1 वर्ष की अवधि के लिए चुना जाएगा निवृत्त होने वाला सदस्य तुरंत पुनः निर्वाचन के लिए पात्र नहीं होगा
3 सुरक्षा परिषद के प्रत्येक सदस्य का एक प्रतिनिधि होगा
अनुच्छेद 24
1 यह सुनिश्चित करने के लिए कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा तत्परता पूर्वक और प्रभावपूर्ण कार्यवाही की जाए उसके सदस्य अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने की प्राथमिक जिम्मेदारी सुरक्षा परिषद को सौंपते हैं और इस बात पर सहमत हैं कि इस जिम्मेदारी के अधीन अपने कर्तव्यों का पालन करते समय सुरक्षा परिषद उनकी ओर से कार्य करेगी
2 इन कर्तव्य के निर्वहन में सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र के प्रयोजनों और सिद्धांतों के अनुसार कार्य करेगी इन कर्तव्य के निर्वहन के लिए सुरक्षा परिषद को प्रदान की गई विनिर्दिष्ट शक्तियां अध्याय 6 7 8 और 12 में अधिकथित है 
3 रक्षा परिषद महासभा को वार्षिक रिपोर्ट और जब आवश्यक हो विशेष रिपोर्ट उसके विचारार्थ प्रस्तुत करेंगे 
अनुछेद 25
संयुक्त राष्ट्र के सदस्य इस चार्टर्ड के अनुसार सुरक्षा परिषद के विनिश्चय को स्वीकार करने और उनका पालन करने के लिए सहमत हैं
अनुच्छेद 26
अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की स्थापना करने तथा उसे बनाए रखने के लिए जिससे कि संसार के मानवीय और आर्थिक साधनों का शस्त्रीकरण के लिए उपयोग कम से कम हो सुरक्षा परिषद की यह जिम्मेदारी होगी कि वह अनुच्छेद 47 में निर्दिष्ट सैनिक कर्मचारी समिति की सहायता से शस्त्रीकरण के विनियमन की पद्धति स्थापित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के सदस्य के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के लिए योजनाएं तैयार करें

                 मतदान
अनुच्छेद 27
1. सुरक्षा परिषद के प्रत्येक सदस्य का केवल एक मत होगा
2. प्रक्रिया संबंधी विषयों पर सुरक्षा परिषद के विनिश्चय 9 सदस्य के सकारात्मक मत से किए जाएंगे
3. अन्य सभी विषयों पर सुरक्षा परिषद के विनिश्चय अस्थाई सदस्यों की सहमति सूचक मतों सहित नौ सदस्यों की सकारात्मक मत से किए जाएंगे परंतु अध्याय 6 के अधीन और अनुच्छेद 52 के पैरा 3 के अधीन विनिश्चय में विवाद का पक्ष कार मतदान नहीं करेगा
अनुच्छेद 28
1. सुरक्षा परिषद का गठन किस प्रकार किया जाएगा कि वह निरंतर कार्य कर सकें इस प्रयोजन के लिए सुरक्षा परिषद के प्रत्येक सदस्य का प्रतिनिधि हर समय संगठन के मुख्य स्थान पर रहेगा
2. सुरक्षा परिषद अपनी बैठक  नियत समय पर करेगी जिसमें प्रत्येक सदस्य का प्रतिनिधित्व यदि वह चाहे तो उसकी सरकार के किसी सदस्य द्वारा विशेष रूप से अभिहित किसी अन्य प्रतिनिधि द्वारा किया जा सकेगा
3. सुरक्षा परिषद संगठन के मुख्य स्थान से भिन्न ऐसे स्थानों पर बैठक कर सकेगी जो इसके निर्णय अनुसार उसके कार्यों को सर्वाधिक शूकर बना देंगे 
अनुच्छेद 29
सुरक्षा परिषद ऐसे समनुषंगी अंगों की स्थापना कर सकेगी जिन्हें वह अपने कृत्यों का पालन करने के लिए आवश्यक समझे
अनुच्छेद 30
सुरक्षा परिषद अपनी प्रक्रिया के नियम जिसके अंतर्गत उसके अध्यक्ष का चयन करने की प्रणाली भी है स्वयं बनाएगी
अनुच्छेद 31
 संयुक्त राष्ट्र का कोई सदस्य जो परिषद का सदस्य नहीं है सुरक्षा परिषद के समक्ष लाए गए किसी प्रश्न पर विचार विमर्श में उस दशा में भाग ले सकेगा जब सुरक्षा परिषद यह समझती है कि उस सदस्य के हित विशेष रूप से प्रभावित हैं किंतु उसे मतदान का अधिकार नहीं होगा
अनुच्छेद 32
संयुक्त राष्ट्र का कोई राज्य जो सुरक्षा परिषद का सदस्य नहीं है या कोई राज्य जो संयुक्त राष्ट्र का सदस्य नहीं है यदि वह सुरक्षा परिषद के विचाराधीन किसी विवाद का पक्ष कार है तो उसे उस विवाद से संबंधित विचार विमर्श में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जाएगा किंतु उसे मतदान का अधिकार नहीं होगा सुरक्षा परिषद ऐसी शर्ते अधिकथित करेगी जिन्हें वह उस राज्य के जो संयुक्त राष्ट्र का सदस्य नहीं है भाग लेने के लिए न्यायोचित समझे

   अध्याय 6
   विवादों का शांतिपूर्ण निपटारा
अनुच्छेद 33
1. किसी ऐसे विवाद के पक्षकार जिसके बने रहने से अंतरराष्ट्रीय शांति सुरक्षा का अस्तित्व खतरे में पड़ने की संभावना हो सबसे पहले वार्ता, जांच, मध्यस्थता, सुलह, मध्यम, न्यायिक निपटारे, क्षेत्रीय अभिकरण, या व्यवस्थाओं अथवा अपनी इच्छा अनुसार अन्य शांतिपूर्ण साधनों के द्वारा तय करने का प्रयास करेंगे
2. यदि सुरक्षा परिषद आवश्यक समझती है तो वह पक्षकारों से अपेक्षा करेगी कि वह ऐसे साधनों से अपने विवादों का निपटारा करें
अनुच्छेद 34
सुरक्षा परिषद किसी ऐसे विवाद का या किसी ऐसी स्थिति का जिसके कारण अंतरराष्ट्रीय विग्रह हो सकता है या कोई विवाद उत्पन्न हो सकता है यह अवधारित करने के लिए अन्वेषण करेगी कि क्या विवाद या स्थिति के बने रहने से अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा का अस्तित्व खतरे में पड़ने की संभावना है
अनुच्छेद 35
1. संयुक्त राष्ट्र का कोई भी सदस्य अनुच्छेद 34 में निर्दिष्ट प्रकृति के किसी विवाद या स्थिति की ओर सुरक्षा परिषद या महासभा का ध्यान आकर्षित कर सकेगा
2. यदि कोई राज्य जो संयुक्त राष्ट्र का सदस्य नहीं है विवाद के प्रयोजनों के लिए इस चार्टर्ड में उपस्थित शांतिपूर्ण निपटारे की बाध्यता ओं को पहले ही स्वीकार कर लेता है तो वह किसी ऐसे विवाद की ओर सुरक्षा परिषद या महासभा का ध्यान आकर्षित कर सकेगा जिसमें वह राज्य पक्ष है
3. इस अनुच्छेद के अधीन जिन विषयों की ओर महासभा का ध्यान आकर्षित किया गया है उनके संबंध में महासभा की कार्यवाही या अनुच्छेद 11 और 12 के उप बंधुओं के अधीन रहते हुए की जाएंगी
अनुच्छेद 36
1. सुरक्षा परिषद अनुच्छेद 33 में निर्दिष्ट प्रकृति के विवाद या वैसे ही प्रकृति की किसी स्थिति के किसी भी प्रकरण पर समायोजन की समुचित प्रक्रिया या पद्धती की सिफारिश कर सकेगी
2. सुरक्षा परिषद विवाद के लिए उस प्रक्रिया को ध्यान में रखें कि जो पक्षकारों द्वारा पहले ही अपनाई जा चुकी है
3. इस अनुच्छेद के अधीन सिफारिशें करते समय सुरक्षा परिषद् इस बात को भी ध्यान में रखेगी कि सामान्यता विधिक विवाद पक्षकारों द्वारा अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के संविधान के उपबंधो के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय को निर्दिष्ट किए जाने चाहिए
अनुच्छेद 37
1. यदि अनुच्छेद 33 में निर्दिष्ट प्रकृति के किसी विवाद के पक्षकार उसका निपटारा उस अनुच्छेद में बताएगये साधनों से करने में असफल रहते हैं तो वह उसे सुरक्षा परिषद को निर्देशित करेंगे
2. यदि सुरक्षा परिषद यह समझती है कि विवाद के बने रहने से अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा का अस्तित्व खतरे में पड़ने की संभावना है तो वह  यह निश्चय करेगी कि अनुच्छेद 36 के अधीन कार्यवाही की जाए या निपटारे के ऐसे निबंधनो की सिफारिश की जाए जिन्हें वह समुचित समझे
अनुच्छेद 38
अनुच्छेद 31 से 37 तक के उपबंधो पर कोई प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना यह है कि यदि किसी विवाद के सभी पक्ष कार सुरक्षा परिषद से अनुरोध करते हैं तो सुरक्षा परिषद विवाद के शांतिपूर्ण निपटारे के लिए पक्षकारों को सिफारिशें कर सकेगी

                   अध्याय 7
शांति के लिए संकट, शांति भंग और आक्रमक कार्यों की बाबत कार्यवाही
अनुच्छेद 39
सुरक्षा परिषद शांति के लिए संकट शांति भंग या आक्रमक कार्य विद्यमान होने के विषय में निर्णय करेगी और सिफारिशें करेगी या यह विनिश्चय करेगी कि अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए या उसे पुनः स्थापित करने के लिए अनुच्छेद 41 और 42 के अनुसार कौन से उपाय किए जाएं
अनुच्छेद 40
सुरक्षा परिषद स्थिति कोऔर अधिक गंभीर होने से रोकने के लिए सिफारिशे  करने या अनुच्छेद 39 में एक उपबंधित उपायों के विषय में विनिश्चय करने से पहले संम्बंदध् पक्षकारों से यह अपेक्षा कर सकेगी कि वे ऐसे अंतिम उपायों को काम में लाए जिन्हें वह अवश्य किया वांछनीय समझती है ऐसे अंतिम उपायों से संबंद पक्षकारों के अधिकारों दावों या उनकी स्थिति पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा यदि परिषद इस बात का सम्यक ध्यान रखेगी कि ऐसे अनन्तिम उपायों को काम में लाए जाने में किसी प्रकार की असफलता तो नहीं हुई है
अनुच्छेद 41
सुरक्षा परिषद् यह विनिश्चय कर सकेगी कि उसके विनीश्चयो को प्रभावी करने के लिए ऐसे कौन से उपायों को काम में लाया जाए जिन में सशस्त्र बल का उपयोग न करना पड़े और वह संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों से यह अपेक्षा कर सकेगी कि ऐसे उपाय करें इन उपायों के अंतर्गत आर्थिक संबंधों और रेल समुद्र, वायु, डाक, तार, रेडियो, और संचार के अन्य साधनों को पूर्ण या आंशिक रूप से भंग किया जा सकेगा और राजनयिक संबंध विच्छेद किया जा सकेगा
अनुच्छेद 42
यदि सुरक्षा परिषद यह समझती है कि अनुच्छेद 41 में उपस्थित उपाय अपर्याप्त होंगे या अपर्याप्त साबित हुए हैं तो वह वायु, समुद्र, या अस्थल सेनाओं के माध्यम से ऐसी कार्यवाही कर सकेगी जो अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने या पुनः स्थापित करने के लिए आवश्यक हो ऐसी कार्रवाइयों के अंतर्गत संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों की वायु, समुद्र,अस्थल, सेनाओं के माध्यम से बल प्रदर्शन नाकाबंदी और अन्य से क्रियाएं की जा सकेगी
अनुच्छेद 43
1. संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने में योगदान देने के लिए यह वचन बंध करते हैं कि वे सुरक्षा परिषद द्वारा मांग किए जाने पर और विशेष करार या करारो के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के प्रयोजन के लिए आवश्यक सशस्त्र बल सहायता और सुविधाएं जिनमें मार्ग अधिकार भी सम्मिलित है उपलब्ध कराएंगे
2. ऐसी करार या करारो  द्वारा सेनाओं की संख्या और प्रकार उनकी तैयारी की मात्रा तथा साधारण एवं स्थिति और दी जाने वाली सुविधाओं और सहायता की प्रकृति विनियमित होगी
3. ऐसे करार या करारो के संबंध में बातचीत सुरक्षा परिषद की प्रेरणा पर यथासंभव शीघ्र की जाएगी। ये करार सुरक्षा परिषद और सदस्यों के बीच या सुरक्षा परिषद और सदस्यों के समूहो के बीच किए जाएंगे और हस्ताक्षर करने वाले राज्यों की अपनी-अपनी संवैधानिक प्रक्रिया के अनुसार उनका समर्थन हो जाने पर लागू होंगे
अनुच्छेद 44
जब सुरक्षा परिषद ने बल प्रयोग करने का विनिश्चय कर लिया हो तब वह ऐसे सदस्य से जिसका सुरक्षा परिषद में प्रतिनिधित्व नहीं है अनुच्छेद 43 के अधीन ग्रहण की गई बाध्यताओं की पूर्ति के लिए सशस्त्र सेनाएं देने की अपेक्षा करने से पूर्व उस सदस्य कि यदि वह सदस्य चाहे तो सुरक्षा परिषद के विनिश्चय में भाग लेने के लिए आमंत्रित करेगी जो उस सदस्य की सशस्त्र सेनाओं की टुकड़ियों को काम में लाए जाने से संबंधित है
अनुच्छेद 45
संयुक्त राष्ट्र को अत्यावश्यक सैनिक कार्यवाही करने में समर्थ बनाने के लिए सदस्य संयुक्त अंतरराष्ट्रीय प्रवर्तन कार्यवाही के लिए अपनी अपनी राष्ट्रीय वायु सेना की टुकड़ी तुरंत उपलब्ध कराएंगे । ईन टुकड़ीयो की संख्या और तैयारी की मात्र तथा उनकी संयुक्त कार्यवाही की योजनाएं अनुच्छेद 43 में निर्दिष्ट विशेष करार या करारो में अधिकथित सीमाओं के भीतर सुरक्षा परिषद द्वारा सैनिक कर्मचारी समिति की सहायता से अवधारित की जाएगी
अनुच्छेद 46
सशस्त्र बलों को काम में लेने की योजनाएं सुरक्षा परिषद दवारा सैनिक कर्मचारी समिति की सहायता से बनाई जाएंगी
अनुच्छेद 47
1. अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए सुरक्षा परिषद की सैनिक आवश्यकताओं और उसके नियंत्रण में रखी गई सेनाओं के प्रयोग और उनकी कमान शस्त्रीकरण और संभावित निशस्त्रीकरण के विनियमन से संबंधित सभी प्रश्नों पर सुरक्षा परिषद को सलाह देने और उसकी सहायता करने के लिए सैनिक कर्मचारी समिति की स्थापना की जाएगी
2. सैनिक कर्मचारी समिति में सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्यों के सेनाध्यक्ष या उसके प्रतिनिधि होंगे समिति संयुक्त राष्ट्र के ऐसे किसी सदस्य को जिसे समिति में स्थाई रूप से प्रतिनिधित्व पर्याप्त नहीं है समिति से संयुक्त होने के लिए उस समय आमंत्रित करेगी जब समिति के उत्तरदायित्व के दक्षता पूर्ण निर्वहन के लिए यह आवश्यक है कि वह सदस्य समिति के कार्य में भाग ले
3. सैनिक कर्मचारी समिति सुरक्षा परिषद के नियंत्रण में रखी गई शस्त्र सेनाओं को सामरिक निर्देश देने के लिए सुरक्षा परिषद के अधीन रहते हुए उत्तरदाई होगी ऐसी सेनाओं की कमान से संबंधित प्रश्नों को बाद में हल किया जाएगा
4. सैनिक कर्मचारी समिति सुरक्षा परिषद के अधिकार से और समुचित क्षेत्रीय अभिकरण से परामर्श करके क्षेत्रीय उप समितियों की स्थापना कर सकेगी
अनुच्छेद 48
1. अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए सुरक्षा परिषद के  विनिश्चयो को क्रियान्वित करने के लिए अपेक्षित कार्यवाही सुरक्षा परिषद के निर्णय अनुसार संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों या कुछ सदस्यों द्वारा की जाएगी
2. संयुक्त राष्ट्र के सदस्य ऐसे निर्णय को सीधे और ऐसे समुचित अंतरराष्ट्रीय अभिकरणों में जिनके ये सदस्य हैं अपनी कार्यवाही के माध्यम से कार्यान्वित करेंगे
अनुच्छेद 49
संयुक्त राष्ट्र के सदस्य सुरक्षा परिषद दवारा  निश्चित उपायों को कार्यान्वित करने के लिए एकजुट होकर एक दूसरे को सहायता देंगे
अनुच्छेद 50
यदि सुरक्षा परिषद द्वारा किसी राज्य के विरुद्ध निवारक या पृवर्तनकारी उपाय किए जाते हैं तो किसी ऐसे अन्य राज्यों को चाहे वह संयुक्त राष्ट्र का सदस्य हो या न हो जिसे उन उपायों के कार्यान्वित किए जाने से उत्पन्न होने वाली विशेष आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा है उन समस्याओं को हल करने के संबंध में सुरक्षा परिषद से परामर्श करने का अधिकार होगा।
अनुच्छेद 51
यदि संयुक्त राष्ट्र के किसी सदस्य पर सशस्त्र आक्रमण किया जाता है तो इस चार्टर्ड की किसी बात से एकल या सामूहिक आत्मरक्षा के अंतर्निहित अधिकार का तब तक ह्रास नहीं होगा जब तक कि सुरक्षा परिषद अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए आवश्यक उपाय नहीं कर लेती है सदस्य द्वारा आत्मरक्षा के इस अधिकार का प्रयोग करते हुए किए गए उपायों की सूचना सुरक्षा परिषद को तुरंत दी जाएगी और इससे अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने या उसे पुनः स्थापित करने के लिए किसी भी समय ऐसी कार्यवाही करने के लिए जिसे सुरक्षा परिषद आवश्यक समझे चार्टर के अधीन सुरक्षा परिषद के प्राधिकार और जिम्मेदारी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा

अध्याय 8 , क्षेत्रीय व्यवस्था
अनुच्छेद 52
1. इस चार्टर की कोई बात अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने से संबंधित ऐसे मामलों में जो क्षेत्रीय कार्यवाही के लिए समुचित हैं कार्यवाही करने के लिए क्षेत्रीय व्यवस्थाओं या अभिकरणों के अस्तित्व को अपवर्जित नहीं करती है परंतु ऐसी व्यवस्था या अभिकरण और उसके क्रियाकलाप संयुक्त राष्ट्र के प्रयोजनों और सिद्धांतों से संगत होने चाहिए
2. संयुक्त राष्ट्र के ऐसे सदस्य  जो ऐसी व्यवस्थाएं करते हैं या ऐसे अभिकरण गठित करते हैं स्थानीय विवादों को सुरक्षा परिषद को निर्देशित करने से पूर्व एशी क्षेत्रीय व्यवस्थाओं के माध्यम से या एसे क्षेत्रीय अभिकरण द्वारा उनके शांतिपूर्ण निपटारे के लिए हर प्रकार का प्रयास करेंगे
3. सुरक्षा परिषद एशी क्षेत्रीय व्यवस्थाओं के माध्यम से या ऐसे क्षेत्रीय अभिकरणों द्वारा संबंधित राज्यों की प्रेरणा पर या सुरक्षा परिषद द्वारा निर्देश किए जाने पर स्थानीय विवादों के शांतिपूर्ण निपटारे की अभिवृद्धि को प्रोत्साहन देगी
4. इन अनुच्छेद से अनुच्छेद 34 और 35 के लागू होने में किसी प्रकार की कमी नहीं आएगी
अनुच्छेद 53
1. सुरक्षा परिषद जहां उचित हो वहां अपने प्राधिकार के अधीन की जाने वाली पृवर्तनकारी कार्यवाही के लिए ऐसी क्षेत्रीय व्यवस्थाओं या अभिकरणों का उपयोग करेगी किंतु सुरक्षा परिषद के प्राधिकार के बिना क्षेत्रीय व्यवस्था के अधीन या क्षेत्रीय अभिकरणों द्वारा कोई परिवर्तनकारी कार्यवाही इस अनुच्छेद के पैरा 2 में तथा परिभाषित शत्रु राज्य के विरुद्ध अनुच्छेद 107 के अनुसरण में या ऐसे राज्य की ओर से आक्रमक नीति की पुनरावृति के विरुद्ध की गई क्षेत्रिय व्यवस्थाओं द्वारा किए गए उपायों को छोड़कर तब तक नहीं की जाएगी जब तक कि संबंधित सरकारों के अनुरोध पर संगठन को ऐसे राज्यों द्वारा और आक्रमण को रोकने  की जिम्मेदारी न सौंपी गई हो
2. इस अनुच्छेद के पैरा 1 में प्रयुक्त  “शत्रु राज्य” पद किसी ऐसे राज्य को लागू होता है जो इस चार्टर पर हस्ताक्षर करने वाले किसी राज्य का दूसरे विश्व युद्ध के दौरान शत्रु रहा है
अनुच्छेद 54
सुरक्षा परिषद को हर समय उन क्रियाकलापों की पूर्व सूचना दी जाती रहेगी जो अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए क्षेत्रीय व्यवस्थाओं के अधीन या क्षेत्रीय अभिकरणों द्वारा किए जा रहे हैं या किए जाने वाले हैं

अध्याय 9 , अंतरराष्ट्रीय आर्थिक और सामाजिक सहयोग
अनुच्छेद 55
संयुक्त राष्ट्र लोगों के समान अधिकारों और आत्म निर्णय के सिद्धांतों के प्रति आदर के आधार पर राष्ट्रों के बीच शांति और मैत्रीपूर्ण संबंधों के लिए आवश्यक सूस्थिरता और कल्याणकारी परिस्थितियां उत्पन्न करने की दृष्टि से
क) जीवन स्तर पूर्ण नियोजन और आर्थिक तथा सामाजिक प्रगति तथा विकास की परिस्थितियों की अभिवृद्धि करेगा
ख) अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य विषयक और संबंधित समस्याओं के हल तथा अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक शैक्षणिक सहयोग की अभिवृद्धि करेगा
ग) मूल वंश, लिंग, भाषा, या धर्म, के आधार पर विभेद किए बिना सभी के लिए मानव अधिकारों और मूल स्वतंत्रता के प्रति विश्वव्यापी आदर्श और उनके पालन की अभिवृद्धि करेगा
अनुच्छेद 56
सभी सदस्य अनुच्छेद 55 में वर्णित और प्रयोजनों की पूर्ति के लिए संगठन के सहयोग से संयुक्त या पृथक रूप से कार्यवाही करने की प्रतिज्ञा करते हैं
अनुच्छेद 57
1. सरकारो के बीच करार द्वारा स्थापित विभिन्न विशिष्ट अभिकरणों का जिसकी आधारभूत लिखतो मे यथापरिभाषित आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक शैक्षणिक स्वास्थ्य संबंधी और संबंध क्षेत्रों में व्यापक अंतर्राष्ट्रीय उत्तरदायित्व है। अनुछेद 63 के उपबंधो के अनुसार संयुक्त राष्ट्र से सम्बध जोङ दिया जाएगा।
2. ऐसे अभिकरणों को जिनका इस प्रकार संयुक्त राष्ट्र से संबंध जोड़ दिया गया है इसमें इसके आगे विशिष्ट अभिकरण कहा गया है
अनुच्छेद 58
संगठन विशिष्ट अभिकरण की नीतियों और क्रियाकलापों के समन्वय के लिए सिफारिशें करेगा
अनुच्छेद 59
संगठन जहां उचित होगा अनुच्छेद 55 में वर्णित प्रयोजनों को पूरा करने के लिए अपेक्षित नए विशिष्ट अभिकरणों के सर्जन के लिए संबंधित राज्यों के बीच वार्ता आरंभ करेगा
अनुच्छेद 60
इस अध्याय में उप वर्णित संगठन के कार्यों के निर्वहन का उत्तरदायित्व महासभा का होगा और महासभा के प्राधिकार के अधीन आर्थिक और सामाजिक परिषद का होगा और उसे इस प्रयोजन के लिए अध्याय 10 में वर्णित शक्तियां होगी
                   अध्याय 10,
 आर्थिक और सामाजिक परिषद गठन
अनुच्छेद 61
1. आर्थिक और सामाजिक परिषद में महासभा द्वारा निर्वाचित संयुक्त राष्ट्र के 54 सदस्य होंगे
2. पैरा 3 के उपबंधो के अधीन रहते हुए आर्थिक और सामाजिक परिषद के 18 सदस्य प्रति वर्ष 3 वर्ष की अवधि के लिए निर्वाचित किए जाएंगे निवृत्त होने वाला सदस्य तुरंत पुनः निर्वाचन के लिए पात्र होगा
3. आर्थिक और सामाजिक परिषद के सदस्यों की संख्या 27 से बढ़ाकर 54 कर दिए जाने के पश्चात प्रथम निर्वाचन में ऐसे 9 सदस्यों के स्थान पर जिनकी पदावधि उस वर्ष के अंत में समाप्त होनी है निर्वाचित सदस्यों के अलावा 27 अतिरिक्त सदस्य निर्वाचित किए जाएंगे इन 27 अतिरिक्त सदस्यों में से इस प्रकार निर्वाचित 9 सदस्यों की पदावधि 1 वर्ष के अंत में और 9 अन्य सदस्यों की अवधि 2 वर्ष के अंत में महासभा द्वारा की गई व्यवस्था के अनुसार समाप्त होगी
4. आर्थिक और सामाजिक परिषद के प्रत्येक सदस्य का एक प्रतिनिधि होगा
कार्य और शक्तियां
अनुच्छेद 62
1. आर्थिक और सामाजिक परिषद अंतरराष्ट्रीय आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक स्वास्थ्य, संबंधी और संबंध विषयों की बाबत अध्ययन कर सकेगी या करवा सकेगी और रिपोर्ट तैयार कर सकेगी या करवा सकेगी तथा ऐसे विषयों में से किसी विषय की बाबत महासभा, की संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों को और संबंधित विशिष्ट अभिकरणों की सिफारिशें कर सकेगी
2. परिषद सभी व्यक्तियों के लिए मानव अधिकारों और मूल स्वतंत्रताओं के प्रति आदर बढ़ाने के प्रयोजन के लिए और उनके पालन के लिए सिफारिशें कर सकेगी
3. परिषद अपनी अधिकारिता के अंतर्गत आने वाले विषयों की बाबत महासभा को प्रस्तुत करने के लिए प्रारूप कन्वेंशन तैयार कर सकेगी
4. परिषद अपनी अधिकारिता के अंतर्गत आने वाले विषय पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा विहित नियमों के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन बुला सकेगी
अनुच्छेद 63
1. आर्थिक और सामाजिक परिषद अनुच्छेद 57 में निर्दिष्ट अभिकरणों में से किसी अभिकरण के साथ ऐसे निबंधन निश्चित करते हुए करार कर सकेगी जिन पर संबंधित अभिकरण का संयुक्त राष्ट्र के साथ संबंध जोड़ा जाएगा ऐसे करार महासभा के अनुमोदन के अधीन होंगे
2. परिषद विशिष्ट अभिकरणों के साथ परामर्श करके और उन्हें सिफारिशें करके तथा महासभा को और संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों को सिफारिशें करके विशिष्ट अभिकरण के क्रियाकलापों का समन्वय कर सकेगी
अनुच्छेद 64
• आर्थिक और सामाजिक परिषद विशिष्ट अभिकरणों से नियमित रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए समुचित कदम उठा सकेगी । वह अपनी सिफारिशों को और अपनी अधिकारिता के अंतर्गत आने वाले विषयों पर महासभा की सिफारिशों को प्रभाव सील करने के लिए उठाए गए कदमों पर रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों और विशिष्ट अभिकरणों के साथ व्यवस्था कर सकेगी
2 परिषद इन रिपोर्ट ओं पर अपने विचार महासभा को सूचित कर सकेगी
अनुच्छेद 65
आर्थिक और सामाजिक परिषद सुरक्षा परिषद को जानकारी दे सकेगी और सुरक्षा परिषद के अनुरोध पर उसकी सहायता करेगी
अनुच्छेद 66
1. आर्थिक और सामाजिक परिषद ऐसे कार्य करेगी जो महासभा की सिफारिशों को क्रियान्वित करने के संबंध में उसकी अधिकारिता में है
2. परिषद महासभा के अनुमोदन से संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों के अनुरोध पर और विशिष्ट अभिकरण के अनुरोध पर सेवाएं कर सकेगी
3. परिषद ऐसे अन्य कृत्य करेगी जो इस चार्टर में अन्यत्र विनिर्दिष्ट या जो उसे महासभा द्वारा सौंपे जाए
  मतदान
अनुच्छेद 67
1. आर्थिक और सामाजिक परिषद के प्रत्येक सदस्य का केवल एक मत होगा
2. आर्थिक और सामाजिक परिषद के निश्चय उपस्थिति और मतदान करने वाले सदस्यों के बहुमत से किए जाएंगे
अनुच्छेद 68
आर्थिक और सामाजिक परिषद आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में तथा मानव अधिकारों की अभिवृद्धि के लिए आयोग और ऐसे अन्य आयोग स्थापित करेगी जिनकी परिषद के कार्यों के पालन के लिए आवश्यकता है
अनुच्छेद 69
आर्थिक और सामाजिक परिषद संयुक्त राष्ट्र के किसी सदस्य को ऐसे विषय पर जिसका उस सदस्य से विशेष संबंध है विचार-विमर्श में भाग लेने के लिए आमंत्रित करेगी किंतु ऐसे सदस्य को मतदान का अधिकार नहीं 
अनुच्छेद 70
आर्थिक और सामाजिक परिषद अपने विचार विमर्श में और अपने द्वारा स्थापित आयोग के विचार विमर्श में विशिष्ट अभिकरण के विचार विमर्शो में अपने प्रतिनिधियों द्वारा भाग लेने के लिए व्यवस्था कर सकेगी
अनुच्छेद 71
आर्थिक और सामाजिक परिषद ऐसे गैर सरकारी संगठनों के साथ परामर्श करने के लिए उचित व्यवस्था कर सकेगी जो उसकी अधिकारिता के अंतर्गत आने वाले विषयों से संबंधित है ऐसी व्यवस्था अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ और जहां समुचित हो वहां संयुक्त राष्ट्र के संबंध सदस्य के साथ परामर्श करने के पश्चात राष्ट्रीय संगठनों के साथ की जा सकेगी
अनुच्छेद 72
1. आर्थिक और सामाजिक परिषद अपनी पर क्रिया के नियम जिसके अंतर्गत उसके अध्यक्ष का चयन करने की प्रणाली है अपने आप बनाएगी
2. आर्थिक और सामाजिक परिषद अपने नियमों के अनुसार जिन के अंतर्गत उसके सदस्यों के बहुमत के अनुरोध पर अधिवेशन आयोजित करने का उपबंध भी होगा आवश्यकता अनुसार अपने अधिवेशन आयोजित करेगी
       अध्याय 11
अस्वशासी राज्य क्षेत्रों के संबंध में घोषणा

अनुच्छेद 73
संयुक्त राष्ट्र के सदस्य जिन पर ऐसे राज्य क्षेत्र के प्रशासन का उत्तरदायित्व है या जिन्होंने ऐसे राज्य क्षेत्र के प्रशासन का उत्तरदायित्व ग्रहण किया है जिनके लोगों को अभी तक पूर्ण स्वशासन प्राप्त नहीं हुआ है इस सिद्धांत को मानते हैं कि इन राज्य क्षेत्रों के निवासियों के हित सर्वोपरि हैं और इस चार्टर्ड द्वारा स्थापित अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की प्रणाली के अंतर्गत इन राज्य क्षेत्रों के निवासियों की कल्याण की अधिकतम अभिवृद्धि की बाध्यता को और इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए
क) संबंध लोगों की संस्कृति के प्रति उचित आदर उनकी राजनीतिक आर्थिक सामाजिक और शैक्षणिक उन्नति उनके साथ न्याय उचित व्यवहार और दुर्व्यवहार के विरुद्ध उनके संरक्षण को सुनिश्चित करने की बाध्यता को
ख) शासन का विकास करने लोगों की राजनीतिक महत्त्वाकांक्षाओं का उचित ध्यान रखने और प्रत्येक राज्य क्षेत्र तथा उसके लोगों की विशिष्ट परिस्थितियों और उनकी प्रगति के विभिन्न परकर्मों के अनुसार उनकी स्वतंत्र राजनीतिक संस्थाओं के उत्तरोत्तर विकास में उनकी सहायता करने की बाध्यता को
ग) अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने की बाध्यता को
घ) विकास के रचनात्मक उपायों की अभिवृद्धि करने अनुसंधान को प्रोत्साहन देने और ईस अनुच्छेद में वर्णित सामाजिक आर्थिक और वैज्ञानिक योजनाओं की व्यवहारिक पूर्ति की दृष्टि से एक दूसरे को और जब भी उचित हो विशिष्ट अंतरराष्ट्रीय निकायों को सहयोग देने की बाध्यता को और
ड) उन राज्य क्षेत्रों से भिन्न जिन्हें अध्याय 12 और 13 लागू होते हैं ऐसे राज्य क्षेत्रों में जिनके लिए उनका अपना अपना उत्तरदायित्व है आर्थिक सामाजिक और शैक्षणिक दशाओं के संबंध में सांख्यिकी है और तकनीकी प्रकृति की अन्य जानकारी ऐसी सीमाओं के अधीन रहते हुए जो सुरक्षा और संवैधानिक विचारों के अनुसार अपेक्षित हो महासचिव को जानकारी देने के प्रयोजनों के लिए नियमित रूप से भेजने की बाध्यता को पवित्र न्यास के रुप में स्वीकार करते हैं
अनुच्छेद 74
संयुक्त राष्ट्र के सदस्य इस बात पर भी सहमत है कि उन राज्य क्षेत्रों के संबंध में जिन्हें यह अध्याय लागू होता है उनकी नीति निश्चय की सत्प्रतिवेश के साधारण सिद्धांत पर आधारित होनी चाहिए और उनके महानगरीय क्षेत्र के संबंध में जो नीति है उससे यह नीति किसी भी प्रकार से कम नहीं होनी चाहिए तथा सामाजिक आर्थिक और वाणिज्य विषयों में शेष संसार के हित और कल्याण का उचित ध्यान रखा जाना चाहिए
                                                                       अध्याय 12
                                                              अंतर्राष्ट्रीय न्यासिता  प्रणाली
अनुच्छेद 75
संयुक्त राष्ट्र अपने प्राधिकार के अधीन अंतर्राष्ट्रीय न्यासीता प्रणाली की आस्थापना करेगा जो ऐसे राज्य क्षेत्रों के प्रशासन और पर्यवेक्षण के लिए होगी जो पपश्चातवती पृथक करारो द्वारा उसके अधीन रखे जाए इन राज्य क्षेत्रों को इसमे इसके आगे न्यास राज्य क्षेत्र कहा गया है
अनुच्छेद 76
न्यासीता प्रणाली के मूल उद्देश्य इस चार्टर के अनुच्छेद 1 में अधिकथित संयुक्त राष्ट्र के प्रयोजनों के अनुसार निम्नलिखित होंगे
क)  अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की वृद्धि करना
ख) न्याय राज्य क्षेत्रों के निवासियों की राजनीतिक आर्थिक सामाजिक और शैक्षणिक उन्नति की तथा स्वशासन या स्वाधीनता के लिए जैसा कि प्रत्येक राज्य क्षेत्र और उनके लोगों की विशिष्ट परिस्थितियों तथा संबंध लोगों की निर्बाध रूप से अभिव्यक्त इच्छाओं के अनुसार उचित हो और जैसा कि प्रत्येक न्यासिता करार के निबंधनो द्वारा उत्पादित किया जाए उत्तरोत्तर विकास की अभिवृद्धि करना
ग ) मुल वंश लिंग भाषा या धर्म के आधार पर विवेद किए बिना सभी के लिए मानव अधिकारों के प्रति और मूल स्वतंत्रताओं के प्रति आदर को प्रोत्साहन देना और संसार के लोगों के अन्यान्योश्रित होने की मान्यता को प्रोत्साहन देना और
घ) संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों और उनके राष्ट्रिको को के सामाजिक आर्थिक और वाणिज्यिक विषयों में समान व्यवहार और पूर्वगामी उद्देश्यों की प्राप्ति पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना और अनुच्छेद 80 के उपबंधो के अधीन रहते हुए राष्ट्रीयको के लिए न्याय प्रशासन में भी समान व्यवहार सुनिश्चित करना

अनुच्छेद 77
१ न्यासिता प्रणाली निम्नलिखित वर्गों के ऐसे राज्य क्षेत्रों को लागू होगी जिन्हें न्यासिता करारो के माध्यम से उसके अधीन रखा जाए
क) इस समय आदेश के अधीन धृत राज्य क्षेत्र
(ख) द्वितीय विश्व युद्ध के परिणाम स्वरूप शत्रु राज्यों से विलग किए जाने वाले राज्य क्षेत्र और
(ग) ऐसे राज्य क्षेत्र जिन्हें उनके प्रशासन के लिए उत्तरदाई राज्यों द्वारा स्वेच्छा से इस प्रणाली के अधीन रखा गया है 
  2 यह पश्चातवर्ती करार का विषय होगा कि पूर्वगामी वर्गों में से किन राज्य क्षेत्रों को और किन शर्तों पर न्यासिता प्रणाली के अधीन रखा जाए

अनुच्छेद 78
न्यासिता  प्रणाली उन राज्यक्षेत्रों को लागू नहीं होगी जो संयुक्त राष्ट्र के सदस्य बन गए हैं और उनके बीच सम्बन्ध सम्प्रभुता के सिद्धान्त के प्रति आदर पर आधारित होगी

अनुच्छेद 79

न्यासिता प्रणाली के अधीन रखे जाने वाले प्रत्येक राज्यक्षेत्र के लिए न्यासिता के निबंधन जिसके अंतर्गत कोई परिवर्तन या संशोधन भी है, प्रत्यक्ष रूप से संबंधित राज्यों की सहमति में निश्चित किए जाएंगे इस निबंधनों के अंतर्गत संयुक्त राष्ट्र के किसी सदस्य द्वारा आदेश के अधीन धृत राज्य क्षेत्रों की दशा में आज्ञापक शक्ति भी है और इसका अनुच्छेद 83 और 85 में उपबंधित रूप में अनुमोदन किया जाएगा

अनुच्छेद 80

1. प्रत्येक राज्यक्षेत्र को न्यासिता प्रणाली के अधीन रखने के लिए अनुच्छेद 77 ,79 और 81 के अधीन किए गए प्रथक न्यासिता करारो में जैसे करार किया जाए उसको छोड़ कर और, जब तक ऐसे करार नहीं किए जाते तब तक, इस अध्याय की किसी बात का यह अर्थान्वयन नहीं किया जाएगा कि वह किन्ही राजयो या लोगों के किसी भी प्रकार के अधिकारों में अथवा ऐसे विधमान अंतरराष्ट्रीय लिखतो के नीबंधनों में कोई परिवर्तन करती है जिसके संयुक्त राष्ट्र के सदस्य पक्षकार है

2. इस अनुच्छेद के पैरा 1 का निर्वचन इस प्रकार नहीं किया जाएगा कि उससे आदेशाधीन और अन्य राज्यक्षेत्रों को अनुच्छेद 77 में यथा उपबंधित न्यासिता प्रणाली के अधीन रखने के लिए वार्ता करने और करार संपन्न करने में विलंब का या उन्हें मुल्तवी करने का आधार बनता है


अनुच्छेद 81

प्रत्येक दशा में न्यासिता करार के अंतर्गत ऐसे निबंधन भी होंगे जिनके अधीन न्यास राज्यक्षेत्र का प्रशासन किया जाएगा और उसमें ऐसा प्राधिकारी अभिहित किया जाएगा जो न्यास राज्य क्षेत्र का प्रशासन करेगा एक या अधिक राज्य या स्वयं संगठन ऐसा  प्राधिकारी हो सकेगा उसे इसमें आगे प्रशासन प्राधिकारी कहा गया है

अनुच्छेद 82

अनुच्छेद 43 के अधीन किए गए विशेष करार या करारो पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, किसी न्यासिता करार में सामरिक महत्व के एक या एक से अधिक क्षेत्र  अभिहित किए जा सकेंगे और उनमे ऐसा संपूर्ण न्यास क्षेत्र या उसका भाग सम्मिलित हो सकेगा जिसे करार लागू होता है

अनुच्छेद 83

1. सामरिक महत्व के क्षेत्रों से संबंधित संयुक्त राष्ट्र के सभी कृत्य जिनके अंतर्गत न्यासिता करारो के निबंधनो और उनके परिवर्तन या संशोधन का अनुमोदन भी है सुरक्षा परिषद करेगी

2. इअनुच्छेद 76 में उपवर्णित मूल उद्देश्य सामरिक महत्व के प्रत्येक क्षेत्र के लोगों को लागू होंगे


3. सुरक्षा परिषद ने न्यासिता करारो के उपबंधनो के अधीन रहते हुए और सुरक्षा संबंधी बातों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, सामरिक महत्व के क्षेत्रों में राजनैतिक, आर्थिक ,सामाजिक और शैक्षणिक विषयों से संबंधित न्यासिता प्रणाली के अधीन संयुक्त राष्ट्र के कृत्यों का पालन करने के लिए न्यासिता परिषद की सहायता लेगी 

अनुच्छेद 84
प्रशासन प्राधिकारी का यह कर्तव्य होगा कि वह यह सुनिश्चित करें कि न्यास राज्य क्षेत्र अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने में अपना योगदान देगा इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए प्रशासन प्राधिकारी सुरक्षा परिषद के प्रति उन बाध्यताओं का निष्पादन करने के लिए जिन का उत्तरदायित्व इस संबंध में प्रशासन प्राधिकारी ने लिया है, और न्यास राज्य क्षेत्र के भीतर स्थानीय प्रतिरक्षा के लिए तथा विधि और अवस्था बनाए रखने के लिए न्यास राज्य क्षेत्र से स्वयंसेवी बल, सुविधाएं और सहायता ले सकेगा

अनुच्छेद 85
1. ऐसे सभी क्षेत्रों के लिए जिन्हें सामरिक महत्व के क्षेत्र अभिहित नहीं किया गया है न्यायसिता करारो के संबंध में संयुक्त राष्ट्र के कृत्य जिनके अंतर्गत न्यायसिता कररो के निबंधनों और उनके परिवर्तन या संशोधन का अनुमोदन भी है महासभा द्वारा किए जाएंगे
2. महासभा के प्राधिकार के अधीन कार्य करते हुए न्यायसिता परिषद इन कृतियों का निष्पादन करने में महासभा की सहायता करेगी

             अध्याय 13
                न्यासिता परिषद
           गठन
अनुच्छेद 86
न्यासिता  परिषद में संयुक्त राष्ट्र के निम्नलिखित सदस्य होंगे
क  न्यास राज्य क्षेत्रों का प्रशासन करने वाले सदस्य
ख  ऐसे सदस्यों में से जिनके नामों का अनुच्छेद 23 में उल्लेख किया गया है वह सदस्य जो न्यास राज्य क्षेत्रों का प्रशासन नहीं कर रहे हैं और
ग  महासभा द्वारा 3 वर्ष की अवधि के लिए निर्वाचित किए गए इतने अन्य सदस्य जितने यह सुनिश्चत करने के लिए आवश्यक हो कि न्यासिता परिषद के सदस्यों की कुल संख्या में संयुक्त राष्ट्र के वह सदस्य जो न्यास राज्यक्षेत्रों का प्रशासन करते हैं और संयुक्त राष्ट्र के वह सदस्य जो न्यास राज्य क्षेत्रों का प्रशासन नहीं करते हैं बराबर बराबर संख्या में हो
२  न्यासिता परिषद् का प्रत्येक सदस्य एक विशेष रूप से अहृ व्यक्ति को, परिषद् में अपना प्रतिनिधित्व करने के लिए अभिहित करेगा

                         कृत्य और शक्तियां Function and power

अनुच्छेद 87
महासभा और उसके प्राधिकारी के अधीन न्यासिता परिषद अपने कृत्यों का निष्पादन करते समय
क   प्रशासन प्राधिकारी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर विचार कर सकेगी;
ख  अर्जियां स्वीकार कर सकेगी और प्रशासन प्राधिकारी के परामर्श से उनकी पड़ताल कर सकेगी;
ग  प्रशासन प्राधिकारी के साथ सहमत समयो पर संबंधित न्यास राज्य क्षेत्रों के कालिक दौरो की व्यवस्था कर सकेगी, और 
घ  ये कार्रवाईयां और न्यासिता करारों के निबंधनो के अनुरूप अन्य कार्रवाईयां  कर सकेगी।

अनुच्छेद 88
न्यासिता परिषद् प्रत्येक न्यास- राज्य क्षेत्र के निवासियों की राजनैतिक ,आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक उन्नति के संबंध में एक प्रश्नावली तैयार करेगी और महासभा की अधिकारिता के भीतर आने वाले प्रत्येक न्यास- राज्यक्षेत्र का प्रशासन प्राधिकारी ऐसी प्रश्नावली के आधार पर महासभा को वार्षिक रिपोर्ट देगा।
          
                                                              मतदान Voting

 अनुच्छेद 89
१ न्यासिता परिषद् के प्रत्येक सदस्य का केवल एक मत होगा
२ न्यासिता परिषद् के विनिश्चय उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के बहुमत से किए जाएंगे
                                                        प्रक्रिया. Procedure
  अनुच्छेद 90
1. न्यासिता परिषद अपनी प्रक्रिया के नियम, जिनके अंतर्गत उसके अध्यक्ष की चयन करने वाली प्रणाली भी है, स्वयं बनाएगी।
2. न्यासिता परिषद् अपने नियमों के अनुसार इनके अंतर्गत उसके सदस्यों के बहुमत के अनुरोध पर अधिवेशन आयोजित करने का उपबंध भी होगा, आवश्यकतानुसार अपने अधिवेशन आयोजित करेगी।
अनुच्छेद 91
न्यासिता परिषद् जब समुचित हो, उन विषयों के संबंध में आर्थिक और सामाजिक परिषद और विशिष्ट अभिकरणौं की सहायता लेगी जिनसे क्रमश: उनका संबंध है।
                                                                 अध्याय 14

                  अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय The international court of justice

अनुच्छेद। 92 
     अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय संयुक्त राष्ट्र का पृधान न्यायिक अंग होगा वह न्यायालय उपबध्द संविधान के अनुसार कार्य करेगा,जो स्थायी अंर्तराष्ट्रीय न्यायालय के संविधान पर आधारित है और इस चाटृर का अभिन्न अंग है।
अनुच्छेद 93 
 १  संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य अंर्तराष्ट्रीय न्यायालय के संविधान के स्वयमेव पक्षकार है 
२   कोई ऐसा राज्य, जो संयुक्त राष्ट्र का सदस्य नहीं हैं, सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर महासभा द्वारा पृत्येक मामले में अवधारित शृतों पर अंर्तराष्ट्रीय न्यायालय के संविधान का पक्षकार बन सकेगा।
अनुच्छेद 94
 १  संयुक्त राष्ट्र का पृत्येक सदस्य, ऐसे मामले में जिसका यह पक्षकार है, अंर्तराष्ट्रीय न्यायालय के विनिश्चय का पालन करने का वचन देता है।
२  यदि किसी मामले का कोई पक्षकार, न्यायालय द्वारा दिये गये निणृय के अधीन उस पर अधिरोपित बाध्यताओं का पालन करने में असफल रहता है तो दूसरा पक्षकार सुरक्षा परिषद आश्रय ले सकेगा और यदि  सुरक्षा परिषद आवश्यक समझती है तो वह निणृय को पृभावी करने के लिए सिफारिशें कर सकेगी या किये जाने वाले उपाय विनिशि्चत कर सकेगी। 
अनुच्छेद 95
इस चाटृर की कोई बात संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों को अपने मतभेद सुलझाने का कार्य पहले से विद्यमान या भविष्य में किये जाने वाले करारों के आधार पर अन्य अधिकरणों को सौंपने से निविरित नहीं करेगी।
अनुच्छेद 96
१  महासभा या सुरक्षा, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय से किसी विधिक प्रशनो पर सलाहाकारी राय देने का अनुरोध कर सकेगी।
२ संयुक्त राष्ट्र के अंग और विशिष्ट अभिकरण,जिन्हें महासभा किसी समय इस प्रकार प्राधिकृत करें ,अपने क्रियाकलापों के विषय क्षेत्र के भीतर उठने वाले विधिक प्रशनो पर न्यायालय की सलाहाकारी राय के लिए अनुरोध कर सकेंगे
                                    अध्याय 15                           
                                      सचिवालय
अनुच्छेद 97
सचिवालय में एक महासचिव होगा और संगठन की आवश्यकतानुसार कर्मचारी होंगे महासचिव सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर महासभा द्वारा नियुक्त किया जायेगा ।यह संगठन का मुख्य प्रशासनिक अधिकारी होगा।          
अनुच्छेद 98
महासचिव, उस हैसियत में, महासभा, सुरक्षा परिषद्, आर्थिक और सामाजिक परिषद् तथा न्यासिता परिषद् की सभी बैठको में कार्य करेगा और ऐसे अन्य कृत्यों का पालन करेगा जो उसे इन अंगों द्वारा सौंपे जाएं महासचिव सगंठन के कार्य के सम्बन्ध में महासभा को वार्षिक रिपोर्ट देगा।
अनुच्छेद 99
महासचिव, किसी ऐसे विषय की ओर सुरक्षा परिषद् का ध्यान आकृष्ट कर सकेगा जिसके कारण, उसकी राय में, अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है।
अनुच्छेद 100
1. महासचिव और कर्मचारी अपने कर्तव्यो के पालन में किसी  सरकार या संगठन के बाहर के किसी अन्य प्राधिकारी का कोई अनुदेश ना तो मानेंगे और ना ही ग्रहण करेंगे वे ऐसी कोई कार्यवाही नहीं करेंगे जिससे केवल संगठन के प्रति उत्तरदायी अंतरराष्ट्रीय अधिकारियों के रूप में उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचती हो।
2. संयुक्त राष्ट्र का प्रत्येक सदस्य यह वचन देता है कि वह महासचिव और कर्मचारियों के उत्तरदायित्व के अनन्यत: अंतरराष्ट्रीय स्वरूप का आदर करेगा, और उनके उत्तरदायित्वो के निर्वहन में उन पर किसी प्रकार का प्रभाव नहीं डालेगा।
अनुच्छेद 101
1. महासचिव कर्मचारियों की नियुक्ति महासभा द्वारा स्थापित विनियमों के अधीन करेगा। 
2. आर्थिक और सामाजिक परिषद्, न्यासिता परिषद् और, आवश्यकतानुसार, संयुक्त राष्ट्र के अन्य अंगों को स्थाई रूप से समुचित कर्मचारी दे जाएंगे ये कर्मचारी सचिवालय का भाग होंगे।
3. कर्मचारियों के नियोजन में और सेवा की शर्तों के अवदाहरण में इस बात का सर्वोच्च स्थान होगा कि उनकी दक्षता, क्षमता और सत्यनिष्ठा का उच्चतम स्तर हो। इस बात का उचित ध्यान रखा जाएगा कि कर्मचारी यथासंभव, व्यापक भौगोलिक आधार पर भर्ती किए जायें।
             अध्याय 16 
           प्रकीर्ण उपबंध
 अनुच्छेद 102
1. यह चार्टर पृर्वत होने के पश्चात संयुक्त राष्ट्र के किसी सदस्य द्वारा की गई प्रत्येक संधि और प्रत्येक अंतरराष्ट्रीय करार को यथासंभव शीघ्र सचिवालय में रजिस्ट्रीकृत किया जाएगा और सचिवालय उसे प्रकाशित करेगा।
2. ऐसी किसी संधि या अंतरराष्ट्रीय करार का, जो इस अनुच्छेद के पैरा 1 के उपबंधो के अनुसार रजिस्ट्रीकृत नहीं किया गया है, कोई पक्षकार संयुक्त राष्ट्र के किसी अंग के समक्ष उस संधि करार का अवलंब नहीं लेगा।
अनुच्छेद 103
संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों की इस चार्टर के अधीन और किसी अन्य अंतरराष्ट्रीय करार के अधीन बाध्यताओं के बीच विरोध हो तो उनकी  इस चार्टर के अधीन  बाध्यताएं अभिभावी होंगी।
अनुच्छेद 104
संगठन की अपने प्रत्येक सदस्य के राज्यक्षेत्र में ऐसी विधिक हैसियत होगी जो उसके कृत्यों का निष्पादन करने और उसके पृयोजनो को पूरा करने के लिए आवश्यक हो।
अनुच्छेद 105
1. संगठन को अपने प्रत्येक सदस्य के राज्यक्षेत्र मैं ऐसे विशेषाधिकार और ऐसी उन्मुक्तयां होंगी जो उसके प्रयोजनों को पूरा करने के लिए आवश्यक हो।
2. इसी प्रकार संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों के प्रतिनिधियों और संगठन के पदधारियों को भी ऐसे विशेषाधिकार और उन्मुक्तयां प्राप्त होंगी जो उनके संगठन से संबंधित कृत्यों के स्वतंत्र निष्पादन के लिए आवश्यक हैं।
3. महासभा इस अनुच्छेद के पैरा 1 और 2 में लागू होने के संबंध के ब्यौरे की बातें अवधारित करने की दृष्टि से सिफारिशें कर सकेगी या इस प्रयोजन के लिए संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों के समक्ष कन्वेंन्शनो की स्थापना कर सकेगी।
          अध्याय 17
      संक्रमणकालीन सुरक्षा व्यवस्था 
अनुच्छेद 106
जब तक अनुच्छेद 43 में निर्दिष्ट ऐसे विशेष करार पृवृत्त नहीं हो जाते जो सुरक्षा परिषद् की राय में उसे अनुच्छेद 42 के अधीन अपने उत्तरदायित्व का निष्पादन आरंभ करने में असमर्थ बताते हैं तब तक 30 अक्टूबर, 1943 को मास्को में हस्ताक्षरित चार राष्ट्रों की घोषणा के पक्षकार और फ्रांस उस घोषणा के पैरा 5 के उपबन्धों के अनुसार एक दूसरे के साथ और आवश्यकतानुसार, संयुक्त राष्ट्र के अन्य सदस्यों के साथ संगठन की ओर से ऐसी संयुक्त कार्रवाई करने की दृष्टि से परामर्श करेंगे जो अंतरराष्ट्रीय शांति और  सुरक्षा बनाए रखने के प्रयोजन के लिए आवश्यक हों।
अनुच्छेद 107
इस चार्टर की कोई बात किसी ऐसे राज्य के संबंध में, जो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इस चार्टर के किसी हस्ताक्षरकता का शत्रु रहा है, ऐसी किसी कार्रवाई को अविधिमान्य या अपवर्जित नहीं करेगी जो ऐसी कार्रवाई के लिए उत्तरदाई सरकारों द्वारा उस युद्ध के परिणामस्वरूप की गयी हो या प्राधिकृत की गई हो।
                अध्याय 18
               संशोधन
अनुच्छेद 108
इस चार्टर में संशोधन, संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों के लिए प्राप्त होंगे जब उन्हें महासभा के दो तिहाई सदस्यों के मत द्वारा अंगीकार कर लिया जाए और संयुक्त राष्ट्र के दो तिहाई सदस्यों द्वारा जिनमें सुरक्षा परिषद् के सभी सदस्य सम्मिलित हों। अपनी -अपनी संविधानिक प्रक्रिया के अनुसार, उनका अनु समर्थन कर दिया जाये।
 अनुच्छेद 109
1. इस चार्टर का पुनर्विलोकन करने के प्रयोजन के लिए संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों का महासम्मेलन महासभा के सदस्यों के दो-तिहाई मत द्वारा और सुरक्षा परिषद् के किन्हीं 9 सदस्यों के मत द्वारा नियत तारीख और स्थान पर किया जा सकेगा। संयुक्त राष्ट्र के प्रत्येक सदस्य का सम्मेलन में केवल एक मत होगा।
2. इस चार्टर में कोई परिवर्तन, जिसके लिए सम्मेलन के दो तिहाई मत द्वारा सिफारिश की गई है तथा प्रभावशील देश जब उसका संयुक्त राष्ट्र के दो- तिहाई सदस्यों द्वारा जिनमें सुरक्षा परिषद् के सभी स्थाई सदस्य सम्मिलित हो, अपनी- अपनी संविधानिक प्रक्रिया के अनुसार, अनु समर्थन कर दिया जाये।
3. यदि इस चार्टर के प्रवृत्त होने के पश्चात महासभा के दसवें वार्षिक अधिवेशन तक ऐसा सम्मेलन आयोजित नहीं किया जाता है तो ऐसा सम्मेलन बुलाने के लिए प्रस्थापना महासभा के उस अधिवेशन की कार्यसूची में रखी जाएगी और यदि महासभा के सदस्यों के बहुमत द्वारा और सुरक्षा परिषद के किन्हीं 7 सदस्यों के मत द्वारा ऐसा विनिश्चय किया जाये तो सम्मेलन आयोजित किया जाएगा।
अध्याय 19
   अनुसमर्थन और हस्ताक्षर
     अनुच्छेद 110
1. हस्ताक्षरकर्ता राज्य अपनी अपनी संवैधानिक प्रक्रियाओं के अनुसार इस चार्टर का अनु समर्थन करेंगे।
2. अनुसमर्थन -पत्रों को संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार के पास जमा किया जाएगा और वह सभी हस्ताक्षरकर्ता राज्यों को तथा जब संगठन का महासचिव नियुक्त हो जाएगा तब उसे भी, इस प्रकार जमा किए गये प्रत्येक अनुसमर्थन पत्र की सूचना देगी।
3. यह र्चाटर 3 गणराज्य, फ्रांस, सोवियत समाजवादी गणराज्य संघ, ग्रेट ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड की यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा तथा अन्य हस्ताक्षरकर्ता राज्यों के बहुमत द्वारा अनु समर्थन- पत्र जमा कर दिए जाने पर पृवृत्त होगा। तदुपरांत, संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार जमा किये गये अनुसमर्थन- पत्रों का प्रोटोकाल तैयार करेगी और सभी हस्ताक्षरकर्ता राज्यों को उसकी प्रतियां भेजेगी।
4. इस चार्टर पर हस्ताक्षरकर्ता राज्य, जो उसे पृवृत्त हो जाने के पश्चात् इसका, अनुसमर्थन कर देते हैं, अपना अनुसमर्थन- पत्र जमा करने की तारीख को मूल सदस्य हो जायेंगे।
           अनुच्छेद 111
 यह चार्टर, जिसके चीनी, फ्रांसीसी, रूसी, अंग्रेजी और स्पैनी पाठ समान रूप से अधि प्रमाणित पाठ है, संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार के अभिलेखागार में जमा रहेगा। उनकी सम्यक रूप से प्रमाणित प्रतियां उस सरकार द्वारा अन्य हस्ताक्षरकर्ता राज्यों की सरकारों को भेजी जाएंगी।
 इसके प्रति सत्यनिष्ठा स्वरूप संयुक्त राष्ट्र की सरकारों के प्रतिनिधियों ने इस चार्टर पर हस्ताक्षर किए हैं।
 सैन फ्रांसिस्को नगर में 26 जून 1945 को हस्ताक्षरित।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

kill मारना Vs Murder मारना

Kill,  जब किसी व्यक्ति को कोई व्यक्ति बिना इरादे के मारता है तब हम उसे kill यानी मारना कहते हैं इसमें कभी कबार व्यक्ति जीवित बच जाता है या औ...