बुधवार, 7 जुलाई 2021

वकीलों का पंजीकरण नंबर क्या होता है

जब कोई छात्र एलएलबी पास करने के बाद वकालत की इच्छा व्यक्त करता है तो उसे अपने बार काउंसिल मैं पंजीकरण कराना होता है
पंजीकरण एक ऐसी व्यवस्था है जो किसी स्टूडेंट को वकालत के रूप में पंजीकृत करती है
यदि आप उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं तो आपको बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश में अपना पंजीकरण कराना होगा यानी आपको कुछ फार्म आदि भरकर उसमें जमा करने होंगे जिसमें आपको लगभग 15000 से ₹20000 खर्च करने होंगे इसके बाद आपको एक पंजीकरण नंबर मिलेगा पंजीकरण नंबर एक ऐसी व्यवस्था है जिससे आप कोर्ट में 2 साल के लिए वकालत करने के लिए वैलिड हो जाते हैं
इस पंजीकरण की सहायता से आप अपनी मोहर बनवाकर 2 साल के लिए किसी भी कोर्ट में प्रैक्टिस करने के लिए वैलिड हो जाते हैं इसके बाद आपको इस पंजीकरण की सहायता से एक बार काउंसिल ऑफ इंडिया की परीक्षा देनी होगी इस परीक्षा को पास करने के बाद वहां से भी आपको एक पंजीकरण नंबर मिलता है जिसका नाम होता है c.o.p. सर्टिफिकेट आफ प्रैक्टिस यह भी आपको एक नंबर के समान ही मिलेगा इस नंबर से आप ऑल इंडिया में पूरे भारत में कहीं भी वकालत के रूप में प्रैक्टिस कर सकते हैं और लाइफटाइम कर सकते हैं आप अपने राज्य में जब पंजीकरण कराते हैं तो वहां से आपको केवल 2 साल के लिए ही वकालत की मान्यता प्राप्त होती है लेकिन जब आप बार काउंसिल ऑफ इंडिया का एग्जाम पास कर लेते हैं और आपको अपना सर्टिफिकेट आफ प्रैक्टिस मिल जाता है यानी सी ओ पी नंबर मिल जाता है उसके बाद आप लाइफटाइम कहीं भी पूरे भारत में वकील के रूप में प्रैक्टिस कर सकते हैं बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सर्टिफिकेट में आपको एक इंटरनेशनल आईडी प्राप्त होती है जिसकी सहायता से आप किसी भी विदेश में आप वकील के रूप में जा सकते हैं लेकिन आपको इंटरनेशनल वकील बनने के लिए वहां के कानून भी फॉलो करने होंगे
तो आपको वकील बनने के लिए दो नंबरों की आवश्यकता होती है 
1 अपने राज्य की काउंसिल का पंजीकरण नंबर
      up073355/2018
2 बार काउंसिल का c.o.p. यानी सर्टिफिकेट आफ प्रैक्टिस नंबर जैसे
   087556/2019

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