बादी एक व्यक्ति या एक से अधिक व्यक्ति या संस्था आदि हो सकते हैं वादी सरकार भी हो सकती है और वादी कोई बच्चा जो नाबालिक है वह नहीं हो सकता परंतु उसकी ओर से यदि कोई व्यक्ति वाद या केस करता है तो हम उस बच्चे और उसके प्रतिनिधि को वादी कहते हैं।
दूसरे शब्दों में अगर हम कहे धन से संबंधित कोई भी मामला जब कोर्ट में जाता है तो उस मामले को या उस केस को हम वाद कहते हैं और इस केस या वाद को करने वाले व्यक्ति या व्यक्ति के समूह को या किसी संस्था को हम वादी कह सकते हैं।
वादी को हम इंग्लिश में प्लेंटीफ plaintiff कहते हैं।
यदि आपने अपने केस में कोई वकील नियुक्त किया है तो आप वकालतनामा के जरिए आपने केस का कार्यभार उस वकील पर वादी के रूप में छोड़ देते हैं परंतु आप उस वाद या केस के मुख्य वादी होंगे।
एक अनसाउंड माइंड या पागल व्यक्ति वादी नहीं हो सकता परंतु उसकी ओर से कोई प्रतिनिधि वादी हो सकता है।
वादी का कार्य अपने मुकदमे की या वाद की या केस की पैरवी करना होता है।
मान लीजिए आपको किसी संपत्ति या किसी व्यक्ति से सिविल मामले की समस्या है और आप उस समस्या को अदालत के माध्यम से सुलझाना चाहते हैं तो आप अपना केस अदालत में ले जाते हैं इस केस को हम वाद कहते हैं और जो आप केस लेकर गए हैं यानी आप एक व्यक्ति हैं आपको हम वादी कहते है
सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 में वादी को पूर्ण रूप से परिभाषित किया गया है
अपने वाद या मुकदमे का पूर्ण रूप से उत्तरदायित्व या जिम्मेदारी वादी की ही होती है।
यदि कोई महिला वाद को न्यायालय में दाखिल करती है तो हम उस महिला को वादिनी कहते हैं
वादी ही वह व्यक्ति है जो न्यायालय से किसी अनुतोष की मांग करता है।
उदाहरण
A ने B को ₹1000 रुपये एक साल के उधार दिए थे 1 साल पूरा होने के बाद B ने A को उसका पैसा नहीं चुकाया अब A न्यायालय में केस करता है की उसे B से उसका उधार दिया गया पैसा ब्याज समीत दिलवाया जाए
यहां पर A वादी है
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